Ranchi: पिछले साल जुलाई महीने में रिम्स में स्टेट टिशू ट्रांसप्लांट (सोटो) का 12वां सेंटर खुला था. इस सेंटर के शुरू हो जाने से किडनी, लीवर समेत अन्य अंगों का प्रत्यारोपण रिम्स में हो पाता. लेकिन विडंबना है की घोषणा के 1 साल के बाद भी नेफ्रोलॉजी विभाग एक डॉक्टर के भरोसे है. और झारखंड के मरीजों को दूसरे राज्यों में जाकर किडनी ट्रांसप्लांट करवाना उनकी मजबूरी हैं.
अधिकतम 6 महीने में शुरू करने का किया गया था दावा
उद्घाटन के दिन प्रबंधन की ओर से दावा किया गया था कि अधिकतम 6 महीने में ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू कर दी जाएगी, लेकिन दावे और हकीकत के बीच जमीन आसमान का अंतर है. इस बीच सैकड़ों रोगी दूसरे राज्यों में जाकर अपना किडनी ट्रांसप्लांट करवा आये.
जून 2020 में हुई थी नेफ्रोलॉजी विभाग की शुरुआत
रिम्स के सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में तत्कालीन निदेशक डॉ डीके सिन्हा के प्रयास से नेफ्रोलॉजी विभाग की शुरुआत हुई थी. उद्घाटन के दौरान ही उन्होंने कहा था कि अब यहां किडनी ट्रांसप्लांट की व्यवस्था भी शुरू होगी. 1 साल के बाद जुलाई 2021 में स्टेट ऑर्गन टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन की स्थापना हुई. लेकिन जिस मकसद से इसकी स्थापना की गई वह पूरा होता नहीं दिख रहा है.
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नेफ्रोलॉजी विभाग के ओपीडी में चिकित्सकीय परामर्श के लिए पहुंचते हैं मरीज
नेफ्रोलॉजी विभाग की हेड डॉ प्रज्ञा पंत घोष की देखरेख में विभाग का संचालन हो रहा है. यहां प्रतिदिन करीब 40 मरीज ओपीडी में चिकित्सीय परामर्श के लिए आते हैं.
नहीं हुई है नियुक्ति
इस मामले पर रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डॉ कृष्ण मुरारी ने कहा कि घोषणा तो हुई थी, लेकिन इस दिशा में अब तक काम प्रगति पर नहीं है और ना ही नियुक्ति हुई है.
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