Ranchi : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वेटनरी कॉलेज में जैव चिकित्सा अनुसंधान में प्रयोगशाला पशुओं के नैतिक उपयोग विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण का बुधवार को उद्घाटन हुआ. मौके पर बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि वैश्विक तौर पर विज्ञान के हर क्षेत्र में तकनीकी विकास बहुत तेजी से हो रहा है. ऐसे में पशु चिकित्सा विज्ञान से जुड़े लोगों को तकनीकी ज्ञान और कौशल को बहुत तेज तरीके से अद्यतन करना आवश्यक है. वर्तमान परिदृश्य में उच्च कौशल और ज्ञान के बिना अपने क्षेत्र में आप खड़े नहीं हो सकते. हमारे पास जो कुछ भी है, जिस स्थिति में है, वो अब तक की सबसे अच्छी स्थिति है. इसी स्थिति में प्रयोगशाला में आपके ज्ञान एवं कौशल को आगे बढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण होगा. शोधकर्ता एवं विद्यार्थी अपना समय बर्बाद नहीं करें, तेजी से सीखें और सोचें. आपका यह ज्ञान और कौशल अपने क्षेत्र में बेहतर करने और बेहतर नियोजन की तलाश में मददगार होगी.
पशु प्रयोग जैव चिकित्सा अनुसंधान की एक बड़ी नींव
डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने कहा कि पशु प्रयोग जैव चिकित्सा अनुसंधान की एक बड़ी नींव है. एक निश्चित बीमारी का पता लगाने, उपचार और रोकथाम में जीव के रूप में प्रयोगशाला में पशुओं की आवश्यकता होती है. कार्यशाला एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण एक महत्वपूर्ण विषय से सबंधित है. शोधकर्ता, पीजी एवं पीएचडी विद्यार्थियों को इसका अधिकतम लाभ लेना चाहिए.
प्रयोगशाला पशुओं के नैतिक उपयोग की महत्ता बतायी
कार्यशाला के विशेषज्ञ केंद्रीय विश्वविद्यालय, दक्षिण बिहार के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शक्ति प्रसाद ने बायोमेडिकल रिसर्च में लेबोरेटरी एनिमल्स के उपयोगों के बारे में बताया. उन्होंने सीपीसीएसईए द्वारा निर्धारित लेबोरेटरी एनिमल्स के उपयोगों से सबंधित दिशा-निर्देश की जानकारी से प्रतिभागियों को अवगत कराया. मौके पर डायरेक्टर एक्सटेंशन डॉ जगरनाथ उरांव एवं डीन फॉरेस्ट्री डॉ एमएस मल्लिक ने भी अपने विचार रखे. आयोजन में सचिव डॉ एमके गुप्ता ने वर्तमान परिदृश्य में पशु चिकित्सा क्षेत्र के तहत जैव चिकित्सा अनुसंधान में प्रयोगशाला पशुओं के नैतिक उपयोग की महत्ता पर प्रकाश डाला. संचालन डॉ स्वाति सहाय तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ एके शर्मा ने किया. मौके पर डॉ एके पांडे, डॉ सुरेश मेहता, डॉ राजू प्रसाद एवं कॉलेज के अन्य प्राध्यापक भी मौजूद थे.
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कार्यक्रम में 55 पीजी एवं पीएचडी विद्यार्थी भाग ले रहे
कार्यक्रम का आयोजन पशुचिकित्सा रोग विभाग और निर्देशात्मक पशु आचार समिति, पशु चिकित्सा संकाय के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है. कार्यक्रम में वेटनरी कॉलेज, रिम्स एवं बीआईटी मेसरा के अलावा केन्द्रीय विश्वविद्यालय, दक्षिण बिहार के कुल 55 पीजी एवं पीएचडी विद्यार्थी भाग ले रहे हैं.
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