Ranchi : रीच संस्था की ओर से 2025 तक टीबी उन्मूलन की दिशा में मीडिया की भूमिका विषय पर बुधवार को लालपुर स्थित एक होटल में राज्य मीडिया सम्मेलन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. रंजीत प्रसाद उपस्थित थे. जबकि विशिष्ट अतिथि और वक्ता के तौर पर डब्ल्यूएचओ के कंसल्टेंट डॉ. राजीव पाठक, एसपीपीएम समन्वयक दामोदर कुमार मंडल, प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजय मिश्रा और रीच संस्था के स्टेट हेड प्रणव झा और को-ऑर्डिनेटर अमित कुमार उपस्थित थे. इस दौरान डॉ. राजीव पाठक ने कहा कि यदि समुदाय जागरूक हो और समय पर निदान के लिए आगे आएं तो अधिक से अधिक लोगों में टीबी का पता समय पर लगाया जा सकता है और ठीक किया जा सकता है. टीबी के 80% मामले पल्मोनरी होते हैं और शेष 20% में एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी होते हैं. टीबी के बैक्टीरिया नाखून और बालों को छोड़कर पूरे शरीर के अंगों को प्रभावित कर सकते हैं. वर्तमान में ईपीटीबी के बारे में जागरूकता बहुत कम है, इसलिए पूर्वानुमान भी खराब है. ईपी टीबी निदान के लिए सामुदायिक जागरूकता पर ध्यान देने की जरूरत है और स्वास्थ्य प्रणाली को भी ईपी टीबी के निदान पर ध्यान देने की जरूरत है. आंकड़ों के बारे जिक्र करते हुए बताया कि एक अध्ययन के अनुसार लगभग 40% आबादी को टीबी संक्रमण है और बैक्टीरिया लेटेंट अवस्था में है. इन 40% लेटेंट मामलों में से केवल 2% का पता चल सका है.
झारखंड में हर साल टीबी से हजार से ज्यादा मौतें
डॉ. पाठक ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, टीबी 10वीं सबसे घातक बीमारी है, दुनिया भर में हर साल प्रति एक लाख आबादी में लगभग 5200 लोग टीबी से मरते हैं और भारत में भी लगभग 1400 लोग टीबी से मरते हैं. झारखंड के बारे में कहा कि यहां भी एक लाख आबादी में एस्टिमेटेड मौत का आंकड़ा एक हजार के करीब है. टीबी की विश्वव्यापी घटना प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 127 है और भारत में प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 188 है. झारखंड में कुल वैश्विक बोझ का 20% भारत पर है.
डॉ. रंजीत प्रसाद ने कहा- सरकार उपलब्ध करा रही पर्याप्त दवा
डॉ. रंजीत प्रसाद, एसटीओ एनटीईपी झारखंड ने साझा किया कि सरकार 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता, विश्व स्तरीय निदान सुविधा सुनिश्चित कर रही है और हमारे पास लगभग 200 डीएमसी केंद्र हैं जिनका उद्देश्य ट्रूनेट सुविधा केंद्र में अपग्रेड करना है. सीबीएनएएटी निदान सुविधा जिला स्तर पर उपलब्ध है. बताया कि बीते साल अखिल भारतीय स्तर पर एक अध्ययन किया गया था, जिसके परिणाम से पता चला कि 60% आबादी को टीबी के बारे में जानकारी नहीं है. सामुदायिक जागरूकता के लिए सामाजिक तार टीबी चैंपियन हो सकते हैं जो टीबी से बचे हैं और इलाज के चरण को पूरा करने के बाद टीबी चैंपियन बन गए हैं. स्वास्थ्य विभाग प्रत्येक स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्र में टीबी चैम्पियनों को नामांकित करने का प्रयास कर रहा है. वहीं, डॉ. एके मित्रा, एसटीडीसी निदेशक ने टीबी से पीड़ित लोगों के लिए उपलब्ध विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के बारे में साझा किया.
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