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झारखंड में 21 साल में एक बार हुई उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति, 3,712 पद खाली

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Ranchi : झारखंड में उर्दू विषय की पढ़ाई प्राइमरी स्कूल से लेकर प्लस टू स्कूल तक होती है. लेकिन अधिकारिक रूप से शिक्षक नियुक्ति कर उर्दू की पढ़ाई केवल प्राइमरी और मिडिल स्कूल में ही कराई जा रही है. लेकिन स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है. राज्य गठन के बाद केवल एक बार उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में की गई, तब भी शिक्षक नहीं मिल पाए. जिसका खामियाजा यह हुआ कि अब भी उर्दू शिक्षकों की भारी कमी है.

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राज्य में तीन ऐसे जिले हैं जहां प्राइमरी और मिडिल स्कूल के बच्चे बिना उर्दू शिक्षक के ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. इसके अलावा आठ से अधिक जिलों में उर्दू शिक्षकों की संख्या 10 से भी कम है. शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार पहली बार 2015-16 में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था. उस समय 4401 पदों में नियुक्ति होनी थी, लेकिन 689 शिक्षक ही मिल पाए. साढ़े तीन हजार से अधिक पद रिक्त रह गए. यह रिक्ति अब भी बनी हुई है.

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कार्यरत शिक्षकों की स्थिति

कई जिलों में कार्यरत उर्दू शिक्षकों की संख्या की बात करें तो रांची में 86, लोहरदगा में दो, पूर्वी सिंहभूम में दो, सरायकेला में तीन, पश्चिम सिंहभूम में दो, पलामू में 80, लातेहार में दो, गढ़वा में 63, हजारीबाग में 81, रामगढ़ में 13, कोडरमा में 11, चतरा में 19, गिरिडीह में 69, धनबाद में 85, बोकारो में 45, दुमका में दो, जामताड़ा में नौ, साहिबगंज में 21, पाकुड़ में छह और देवघर में 20 उर्दू के शिक्षक कार्यरत हैं. जबकि खूंटी, गुमला और सिमडेगा में उर्दू के एक भी शिक्षक नहीं हैं.

कई स्कूलों में शिक्षकों के पद ही सृजित नहीं

उर्दू विषय के पढ़ाई की बात करें तो प्राइमरी मिडिल स्कूल के अलावा हाई स्कूल, प्रोजेक्ट हाई स्कूल और प्लस टू स्कूलों में भी उर्दू की पढ़ाई होती है. लेकिन इन स्कूलों में 21 सालों में शिक्षकों की नियुक्ति की ही नहीं गई है. इसकी सबसे बड़ी वजह यहां उर्दू शिक्षकों के पद का सृजन नहीं होना है. इसके अलावा राजकीय, राजकीयकृत और अपडेटेड हाई स्कूल में भी शिक्षकों के पद सृजित नहीं है. वही सुविधा की बात करें तो प्राइमरी से मिडिल स्कूल तक में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को उर्दू किताब नहीं दी जाती है.

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