रांची। जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस (Money Laundering Case) में जेल में बंद झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने अब झारखंड हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की है। इसके पहले 22 मई को उन्होंने ईडी की कार्रवाई और गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट की निगरानी के बाद वापस ले ली थी। इस मामले में रांची की स्पेशल पीएमएलए (प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) कोर्ट ने 13 मई को हेमंत सोरेन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
सोरेन की ओर से दाखिल जमानत याचिका में कहा गया है कि उनके खिलाफ जिस 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जे का आरोप लगाते हुए ईडी ने कार्रवाई की है, उससे संबंधित एक भी दस्तावेज ईडी के पास नहीं है। यह झारखंड की सीन्ट (छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट) के तहत भिंनहरी प्रकृति की जमीन है, जो किसी भी हाल में किसी व्यक्ति के नाम पर बदलाव नहीं किया जा सकता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि जमीन पर अवैध कब्जे के तहत पीएमएलए के तहत अपराध का मामला नहीं बनता है।
बहरहाल, सोरेन की इस याचिका पर सुनवाई की तारीख तय नहीं हुई है। बता दें कि इस मामले में सोरेन ने ईडी की कार्रवाई और गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 21-22 मई को सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि सोरेन की ओर से फाइल की गई याचिका में इस तथ्य को छिपाया गया कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस (मनी लॉन्ड्रिंग केस) में ईडी की स्पेशल कोर्ट ने नाराजगी जताई है। इसके बाद सोरेन की ओर से अदालत में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका वापस लेने की सिफारिश की थी।
बता दें कि बड़गाईं अंचल में 8.66 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे और मनी लॉन्ड्रिंग (मनी लॉन्ड्रिंग) से जुड़े मामले में ईडी (ईडी) ने 31 जनवरी को हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। ईडी ने मामले में 30 मार्च को अदालत में हेमंत सोरेन के अलावा जमीन के मूल रैयत राजकुमार पाहन, हेमंत सोरेन के कट्टर विनोद कुमार, राजस्व उपनिरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद और हिलेरियस कच्छप के खिलाफ आरोपों की फाइल भी दायर की है। इसमें बताया गया है कि हेमंत सोरेन ने न सिर्फ अवैध तरीकों से जमीन हासिल की, बल्कि जांच शुरू होने पर सबूतों को नष्ट करने की कोशिश की।
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