झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य के विभिन्न विभागों में 10 वर्षों से अधिक समय से संविदा के रूप से कार्य कर रहे कर्मचारियों की सेवा नियमितीकरण पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह फैसला अदालत ने सेवा नियमितीकरण से संबंधित लगभग 69 याचिका को एक साथ सूचीबद्ध करके सुनवाई के दौरान सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सरकार को इस पर जल्द से जल्द निर्णय लेना चाहिए।
16 Jan 2024
रांची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डा. एसएन पाठक की अदालत में राज्य के विभिन्न विभागों में 10 वर्षों से अधिक समय से संविदा के रूप से कार्य कर रहे कर्मचारियों की सेवा नियमितीकरण पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि प्रार्थी संबंधित विभागों में आवेदन देंगे। विभिन्न विभागों में ऐसे मामलों में निर्णय लेने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाए, जो सुप्रीम कोर्ट में उमा देवी के मामले में दिए गए आदेश के आलोक में नियमितीकरण नियम के तहत निर्णय लिया जाए।
अदालत ने 69 याचिकाओं को किया निष्पादित
प्रार्थियों के आवेदन पर सरकार को चार माह के अंदर निर्णय लेकर उन्हें अवगत करना होगा। विभागीय स्तर पर इस मामले में कोई निर्णय नहीं हो पाता है, तो विभागीय सचिव कारण बताते हुए मामले को मुख्य सचिव के पास भेजेंगे। मुख्य सचिव चार माह में निर्णय लेते हुए इसके लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाएंगे। यह कमेटी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संज्ञान में रखते हुए निर्णय लेगी। प्रार्थी अगर विभाग के फैसला से असंतुष्ट है तो वह फिर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं। अदालत ने इससे संबंधित 69 याचिकाओं को निष्पादित कर दिया है।
संविदा पर काम करने वाले कर्मियों की स्थिति दयनीय : कोर्ट
अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि राज्य में अस्थाई या संविदा पर काम करने वाले कर्मियों की स्थिति दयनीय है। सरकार को इस तरह के मामले में जल्द से जल्द निर्णय लेना चाहिए। अदालत ने सेवा नियमितीकरण से संबंधित लगभग 69 याचिका को एक साथ सूचीबद्ध करके सुनवाई की थी। सभी पक्षों को सुनने के बाद पिछले दिनों अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को अदालत ने अपने फैसले को सुनाया। बता दें कि पूर्व में राज्य सरकार के विभिन्न संस्थाओं में संविदा पर कार्य कर रहे कर्मचारियों ने सेवा नियमितीकरण की मांग को लेकर याचिका दायर की थी।