वन नेशन वन चुनाव के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई, संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा

न्यूजरूम टीम: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले सदन ने भारत में वन नेशन वन के चुनाव के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। ऑस्टिन ने रविवार को हुई बैठक में देश में एक साथ चुनाव के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसे संसद में शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। बता दें कि इस पर बिजनेस कमेटी ने रिपोर्ट दी है। बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति मिथ्याचारी के नेतृत्व वाली समिति ने वन नेशन वन इलेक्शन की मार्च में रिपोर्ट अपनी दी थी। इस रिपोर्ट में जो सुझाव दिए गए हैं, उनके अनुसार पहले चरण के रूप में राज्य की विधानसभाओं का चुनाव एक साथ किया जाना चाहिए। समिति ने आगे कहा कि
100 दिन के अंदर स्थानीय निकाय चुनाव भी एक साथ होने चाहिए। इससे पूरे देश में एक निश्चित समय, पूर्णता के साथ सभी स्तरों पर चुनाव लड़ने वालों को लाभ मिलता है। वर्तमान में, राज्य विधानसभाओं और विधानसभाओं का चुनाव अलग-अलग आयोजित किया जाता है। वहीं, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट की बैठक में कहा कि केंद्रीय कैबिनेट ने एक राष्ट्र, एक चुनाव पर कैबिनेट की रिपोर्ट स्वीकार कर ली है। इससे चुनाव में होने वाले खर्च का भार कम होगा। मंत्री
उन्होंने कहा कि नासा की बैठक में वीनस ऑर्बिटर मिशन, गगनयान के विस्तार और चंद्रयान-4 मिशन को भी मंजूरी दी गई है। इससे पहले मोदी सरकार के 100वें कार्यकाल के पूरे होने से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था कि इस संकल्प के पूरा होने से पहले ही देश में एक राष्ट्र, एक चुनाव लागू किया जाएगा।
बता दें कि इस साल की शुरुआत में राष्ट्रपति मितानिनों की राष्ट्रपति पद की नियुक्ति में एक उच्च स्तर का नामांकन और राज्य चुनाव अधिकारियों का परामर्श शामिल है
भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से एक सामान्य सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की भी सलाह दी जाती है। वर्तमान में, ई समुदाय और विधानसभा चुनाव के लिए जिम्मेदार है, जबकि नगर पालिकाओं और चुनावों के लिए स्थानीय निकाय चुनाव प्रबंधन राज्य चुनाव आयोगों द्वारा किया जाता है।
राज्य विधान सभा दोनों के लिए एक साथ चुनाव की वकालत की गई थी। इसके लिए पैनल ने 18 संवैधानिक संशोधनों की भी सिफारिश की है, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं के लिए मंजूरी की आवश्यकता नहीं है, लेकिन संवैधानिक संशोधनों के रूप में संसद की मंजूरी की आवश्यकता होगी।

32 राजनीतिक शास्त्र का मिश्रण समर्थन

पूर्व राष्ट्रपति मिर्जा की राष्ट्रपति वाली समिति ने इस मुद्दे पर 62 दस्तावेजों से संपर्क किया था। इनमें से 47 राजनीतिक शास्त्रियों ने अपनी राय दी थी, जबकि 15 दार्शनिकों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। प्रतिक्रिया प्रस्ताव वाले 47 में से 32 ने एक चुनावी विचार का समर्थन किया था, जबकि 15 संवैधानिक ने इसका विरोध किया था।

वन नेशन वन इलेक्शन के फायदे

यूट्यूब पर एक साथ चुनाव में करोड़ों रुपये की बचत होगी। साथ ही चुनाव आयोग को बार-बार चुनाव से लेकर इंटरमीडिएट तक की जानकारी दी गई है। एक साथ चुनाव होने से फोकस चुनाव पर नहीं बल्कि विकास पर होगा। साथ ही बार – बार आचार संहिता की जरूरत नहीं होगी। इससे काले धन पर लगाने में भी मदद मिलेगी।

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