लोहरदगा में हो रही ऑर्गेनिक हल्दी की खेती, संरक्षित खेती को मिल रहा बढ़ावा

झारखंड के लोहरदगा जिले में राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ऑर्गेनिक हल्दी की खेती की जा रही है. इजराइल की खेती पद्धति से अब जिले में भी संरक्षित खेती हो रही है.

31 Jan 2024

लोहरदगा : झारखंड के लोहरदगा जिले में राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ऑर्गेनिक हल्दी की खेती की जा रही है. इजराइल की खेती पद्धति से अब जिले में भी संरक्षित खेती हो रही है. इजराइल मॉडल पर मृदा रहित खेती पर उद्यान विभाग खेती को बढ़ावा दे रही हैं. जिससे किसान कम लागत पर अधिक मुनाफा कर सकते हैं.

 हल्दी की खेती पर किसानों का ध्यान 
फिलहाल हल्दी की खेती को जिले में किसानों तक पहुंचाने के लिए इजरायल से मॉडल तैयार कर जिला उद्यान विभाग में लगाया गया है. जिससे हल्दी की खेती पर किसानों का ध्यान आकृष्ट हो और किसान यहां भी मृदा रहित खेती कर आत्मनिर्भर बन सके.

किसान करीब 6000 किलो तक हल्दी का कर सकता है उत्पादन
इस तरह की खेती से एक पॉली हाउस में किसान करीब 6000 किलो तक हल्दी का उत्पादन कर सकता हैं जो आम खेती से 5 गुना ज्यादा है. मृदा रहित संरक्षित खेती में हल्दी के एक पौधे से करीब 2 किलो तक हल्दी प्राप्त होती हैं जो किसानों की आय को बढ़ाने में मदद करेगा.

किसानों को हल्दी की खेती से जोड़ा जा रहा 
उधान विभाग ने जानकारी देते हुए बताया कि लोहरदगा में संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए यह मॉडल तैयार किया गया है. अभी विभाग खुद से खेती कर लाभ समझ रही है. किसानों को भी इस खेती से जोड़ा जा रहा है, ताकि किसानों के आय में बढ़ोतरी आए और किसान मजबूत बने.

मसाले के साथ-साथ कई काम आती है हल्दी
बता दें कि हल्दी का सामान्य तौर पर मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ ही हल्दी का इस्तेमाल बीमारियों, जख्म आदि में भी किया जाता है. कहा जाता है कि हल्दी की खेती के लिए जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. हालांकि ज्यादातर फसलों के लिए खुले खेत या फिर जमीन की जरूरत होती है, लेकिन हल्दी की खेती को छायादार स्थान पर किया जाता है.   

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