रिम्स में चल रहे हेल्थ मैप को अब सीजीएचएस दर पर ही जांच करनी होगी। इस संबंध में रिम्स प्रबंधन ने हेल्थ मैप को निर्देश दिया है कि वे जांच दर को कम करें और एग्रिमेंट के अनुरूप अपनी दर को कम करें। मनिपाल हेल्थमैप द्वारा मिले निर्देश में संशोधन करने की मांग की थी। जिसके बाद प्रबंधन ने कहा कि एजेंसी सीजीएचएस दर पर करार करने को तैयार है।
03 Jan 2024
रांची : रिम्स में पीपीपी मोड पर संचालित मनिपाल हेल्थ मैप को अब सीजीएचएस या रिम्स के दर पर जांच करना होगा। इन दोनों में जिसका दर कम होगा उसी के अनुरूप एजेंसी को रिम्स द्वारा भुगतान किया जाएगा। इस संबंध में रिम्स प्रबंधन ने हेल्थ मैप को निर्देश दिया है कि वे अपने जांच दर को कम करें और एग्रिमेंट के अनुरूप अपनी दर को कम करें।
एजेंसी अधिक दरों पर कर रही जांच
रिम्स क्रय समिति की बैठक में इस बात को लेकर सहमति बनी और निर्णय लिया गया कि एमआरआई जांच के लिए हेल्थमैप अधिक दर मरीजों से ले रहा है, जिसके बाद इस पर 25 अगस्त को ही इस व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर बैठक की जा चुकी थी। जिसमें एजेंसी को अपना दर ठीक करने का निर्देश भी दिया गया था। लेकिन इसके बावजूद एजेंसी लगातार मरीजों से अधिक दर लेकर एमआरआई सहित अन्य रेडियोलाजी जांच करता रहा।
एजेंसी ने आदेश में संशोधन की मांग रखी
मनिपाल हेल्थमैप द्वारा मिले निर्देश में संशोधन करने की मांग की थी। जिसके बाद प्रबंधन के साथ हुई बैठक में कहा गया कि एजेंसी सीजीएचएस दर पर करार करने को तैयार है। लेकिन कुछ 11 प्रकार के ऐसे जांच हैं, जिसमें कांट्रास्ट जांच की जरूरत पड़ती है और इन जांच का दर रिम्स की तुलना में सीजीएचएस में अधिक है। ऐसी विकट परिस्थिति में प्रबंधन ने छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया है, जो अब कांट्रास्ट जांच के दर पर अपनी सहमति देंगे और इसके बाद उसी दर पर एजेंसी को कांट्रास्ट जांच करना होगा।
कमेटी में चिकित्सा अधीक्षक, रेडियोलाजी विभाग के एचओडी, आंतरिक वित्तीय सलाहकार, चिकित्सा उपाधीक्षक, चिकित्सा पदाधिकारी भंडार और रेडियोलाजी विभागीय डीपीसी के सभी सदस्य शामिल हैं। मालूम हो कि कुल 47 प्रकार के एमआरआई जांच की जाती है, जिसमें से 11 प्रकार की जांच में अचड़न आ रही थी, ये 11 प्रकार के सभी जांच कांट्रास्ट जांच से जुड़ा है, जिसमें एमआरआई जांच से पहले एक महंगा इंजेक्शन मरीज को दिया जाता है ताकि फिल्म में जांच रिपोर्ट साफ दिख सके।
अभी बीपीएल का नहीं हो रहा निशुल्क जांच
हेल्थ मैप द्वारा गरीबों का निशुल्क जांच नहीं किया जा रहा है। एजेंसी के अनुसार उनका प्रबंधन के पास दो करोड़ से अधिक का बकाया है, जिस वजह से जांच बंद कर दिया गया है। अभी गरीबों को भी मोटी रकम चुकाकर जांच करानी पड़ रही है। जिससे सरकारी योजना का लाभ इन मरीजों को नहीं मिल रहा है। इधर, रिम्स प्रबंधन ने हेल्थ मैप से गरीब मरीजों की निश्शुल्क जांच कराने का आग्रह करता रहा है, लेकिन अभी तक हेल्थ मैप अपनी मनमानी करता दिख रहा है। जबकि प्रबंधन का कहना है कि उनके द्वारा जो बिल दिया गया है उसकी जांच की जा रही है।