विभावि (विनोबा भावे विश्वविद्यालय) को प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा योजना अभियान पीएम-उषा के तहत 100 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है। झारखंड के कुल तीन विश्वविद्यालयों को यह अनुदान मिला है। नीलांबर और पीतांबर विश्वविद्यालय को करीब 20 करोड़ का अनुदान मिला है। आज पीएम मोदी इस योजना का शुभारंभ करेंगे जिसका लाइव प्रसारण विभावि के विवेकानंद सभागार में होगा।
20 Feb 2024
हजारीबाग : विभावि (विनोबा भावे विश्वविद्यालय) को प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा योजना अभियान पीएम-उषा के तहत 100 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है। देश के 78 विश्वविद्यालयों को इस योजना के लिए प्रथम चरण में नामांकित किया गया है। इनमें झारखंड से तीन विश्वविद्यालय शामिल हैं।
पीएम मोदी करेंगे योजना का शुभारंभ
नीलांबर और पीतांबर विश्वविद्यालय को करीब 20 करोड़ का अनुदान मिला है। राज्य में सबसे अधिक अनुदान विभावि को मिला है। इस बाबत रविवार को वीडियो काॅन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक हुई थी। अनुदान की घोषणा होते ही विभावि में खुशी की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री मंगलवार को इस योजना की शुभारंभ करेंगे। विभावि के विवेकानंद सभागार में इसका लाइव प्रसारण होगा।
इस काम में होगा विश्वविद्यालय को मिली राशि का उपयोग
संभव है कि पीएम विभावि प्रबंधन से भी बातचीत कर सकते हैं। ज्ञात हो कि विभावि राज्य में टाॅप विश्वविद्यालय है और पूर्व कुलपति डा. एमएन देव के कार्यकाल में इस दिशा में बेहतर काम किया गया था। उनकी टोली का अथक प्रयास ही है कि इतनी बड़ी राशि विभावि को शोध, शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए मिला है।
इस बाबत जानकारी देते हुए सूचना पदाधिकारी डा. सुकल्याण ने बताया कि केंद्र ने मेरु योजना के तहत मिले राशि का उपयोग विश्वविद्यालय को पठन-पाठन एवं शोध के केंद्र के रूप में विकसित करने में की जानी है। यह भी जानकारी दी किअनुदान की पूरी राशि विनोबा भावे विश्वविद्यालय के वर्तमान परिसर में संचालित विभागों एवं पाठ्यक्रम पर खर्च किए जाएंगे।
ज्ञात हो इस योजना के लिए केंद्र ने 12926.10 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। जानकारी दी कि इस उपलब्धि के लिए विभावि के विवेकानंद सभागार में प्रधानमंत्री जी के संबोधन के डिजिटल प्रसारण के उपरांत केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी, हजारीबाग सांसद जयंत सिन्हा, सदर विधायक मनीष जायसवाल एवं गवाह बनेंगे और संबोधित करेंंगे।
इन्होंने किया था विशेष प्रयास
इस मद को लेकर विभावि की ओर से पिछले दो साल से भी अधिक समय से प्रयास किए जा रहे थे। तत्कालीन कुलपति डा. एमएन देव के साथ साथ इस अभियान को मूर्त रुप देने में विभावि के वित्त सलाहकार सुनील कुमार सिंह, रुसा के पूर्व नोडल पदाधिकारी चंद्रशेखर सिंह की भी सराहनीय भूमिका रही।