जामताड़ा में अवैध तरीके से हो रहे बालू के उठाव के कारण सरकार को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। जिलेभर के 34 चिह्नित घाटों समेत अन्य दर्जनों बालू घाटों से बालू की ढुलाई चोरी-छिपे जारी रही। सिर्फ इनका ही आंकड़ा यदि लिया जाए तो पिछले पांच साल के दौरान तकरीबन 38 करोड़ रुपये से ज्यादा के राजस्व का नुकसान हो चुका है।
03 Jan 2024
जामताड़ा : पिछले पांच साल से बालू घाटों की बंदोबस्ती सरकारी स्तर पर जिलेभर में नहीं हो पाई है, लेकिन इस दौरान जिलेभर के 34 चिह्नित घाटों समेत अन्य दर्जनों बालू घाटों से बालू की ढुलाई चोरी-छिपे जारी रही।
अब तक हो चुका है 38 करोड़ से अधिक का नुकसान
विभागीय सूत्रों के अनुमान के अनुसार पिछले पांच साल के दौरान करोड़ों रुपये का इन चिह्नित घाटों से बालू का उठाव किया जा चुका है। सिर्फ चिह्नित घाटों से हुए अवैध तरीके से हुए बालू के उठाव के आंकड़ों को ही यदि जोड़ दिया जाए तो सरकार को इस दौरान तकरीबन 38 करोड़ रुपये से ज्यादा के राजस्व का नुकसान हो चुका है।
अवैध धंधे में संलिप्त माफियाओं की कट रही चांदी
जिलेभर के अन्य छोटे-बड़े घाटों के आंकड़ों को यदि जोड़ दिया जाए तो इस आंकड़े में और भी इजाफा हो जाएगा। वहीं दूसरी ओर विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि पिछले इन पांच वर्षों के दौरान भले ही बालू घाटों की बंदोबस्ती से सरकार को नुकसान हुआ है, लेकिन इस अवैध धंधे में संलिप्त माफिया ने पुलिस व प्रशासन की सरपरस्ती में खूब चांदी काटी है।
ऐसे समझें रेत की लूट का गणित
रेत का कारोबार करनेवाले सूत्रों के अनुसार बंदोबस्ती हुए घाटों से पहले उन्हें बालू उठाव के 700 रुपये की पर्ची कटवानी पड़ती थी। साथ ही इन्हें रेत लीगल तरीके से महंगी दरों पर बेचने में भी उन्हें आसानी होती थी।
जामताड़ा में रोज अवैध तरीके से होती है बालू की ढुलाई
विश्वस्त आंकड़ों के अनुसार, जिलेभर में तकरीबन 300 ट्रैक्टरों के जरिए बालू की अवैध तरीके से रोजाना ही ढुलाई होती है। 700 रुपये प्रति ट्रैक्टर के हिसाब से ही यदि पिछले पांच साल के आंकड़ों को जोड़ दिया जाए तो यह 383250000 रुपये के करीब होता है। जबकि कई ऐसे भी क्षेत्र हैं, जहां ट्रकों व डंपरों के जरिए रेत की ढुलाई के मामले सामने आते रहते हैं। इतना ही नहीं जिलेभर के अन्य छोटे-बड़े घाटों के आंकड़ों को यदि जोड़ दिया जाए तो इस आंकड़े में और भी इजाफा हो सकता है।
पहले तक जिलेभर में चिह्नित थे 34 बालू घाट
जामताड़ा में कुल 34 बालू घाट पूर्व तक खनन के चिह्नित किए गए थे। इनमें हाथधारा घाट-वन, हाथधारा घाट-टू, अमलाचातर, बोधबांध- वन, बोधबांध घाट-टू, डिमजोरी घाट-वन, डिमजोरी घाट-टू, गोपालपुर घाट-वन, गोपालपुर घाट, सतसाल घाट-वन, नवाईकोल-वन, नवाईकोल-टू, चिहुंटिया, आसनचुआं, मरालो, देवलकुंडा, नवदीपचक, रंगासोल, मरालो, कास्ता, परिहारपुर, पाथरघाटा, बनखेत, छोटो गोविंदपुर, अंबा सहजोरिया, सटकी घाट, बारा अखना-वन, बारा अखना-टू, गोलाडांगा घाट, इंद्रपहाड़ी घाट, बांसबनी घाट, कालिकासोली घाट व अन्य छोटे-बड़े घाट शामिल थे। इनमें से चार बालू घाटों से सन 2022 तक बालू का उठाव सरकारी स्तर पर उठाव जारी रहा। इनमें सतसाल, कुशबेदिया, नीमबेड़ा और नाला क्षेत्र का एक घाट शामिल था।