जमशेदपुर में क्यों हार गई JMM? प्रत्याशी ने ही खोल दी पोल

लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद राज्य में आइएनडीआइए के घटक दलों के बीच का टकराव सामने आने लगा है। जमशेदपुर से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के प्रत्याशी रहे समीर कुमार मोहन्ती की मानें तो कांग्रेस के पूर्वी सिंहभूम जिलाध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे को बूथ प्रबंधन एवं अन्य खर्च के लिए उन्होंने पैसे दिए लेकिन उन्होंने अधिकांश राशि का गबन कर लिया।

लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद राज्य में आइएनडीआइए के घटक दलों के बीच का टकराव सामने आने लगा है। जमशेदपुर से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के प्रत्याशी रहे समीर कुमार मोहन्ती की मानें तो कांग्रेस के पूर्वी सिंहभूम जिलाध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे को बूथ प्रबंधन एवं अन्य खर्च के लिए उन्होंने पैसे दिए, लेकिन उन्होंने अधिकांश राशि का गबन कर लिया।

कुछ बूथों में 6000 रुपये में से दो हजार रुपये निकालकर 4000 रुपये ही बांटे। ज्यादातर जगहों पर चुनाव एजेंट तक बूथ पर मौजूद नहीं थे। मोहन्ती बहरागोड़ा से झामुमो के विधायक हैं। झामुमो ने उन्हें जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया था।

झामुमो का आरोप- कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ने किया खेला

उन्होंने पूरी बातों से झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को अवगत कराया है। शिकायती पत्र की प्रतिलिपि उन्होंने मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और झामुमो महासचिव विनोद पांडेय को भी प्रेषित किया है।

मोहन्ती ने पत्र में उल्लेख किया है कि अधिकतर बूथों पर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ने ना तो पैसे दिए ना बूथ कमेटी को बिठाया। यह काफी दुखद है और हार की प्रमुख वजहों में एक है। बाद में उन्हें असंतुष्ट कार्यकर्ताओं के लिए अलग से राशि का इंतजाम करना पड़ा। 

भाजपा के साथ मिलीभगत का आरोप, हो जाए जांच Advertisement

मोहन्ती ने हेमंत सोरेन से आग्रह किया है कि उनके आरोपों की जांच की जाए। उन्होंने आनंद बिहारी दुबे का भाजपा के साथ मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि मतदान के दिन हर बूथ पर भ्रमण के क्रम में उन्हें सच्चाई का पता चला। चुनाव में जीत-हार होती रहती है।

किसी विधानसभा क्षेत्र में आगे या पीछे होना भी अलग बात है। कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी के जिलाध्यक्ष की ऐसी हरकत पूरे संगठन को कलंकित करने जैसा है। चुनाव में एक लाख से अधिक मतों से हार इसलिए हुई क्योंकि ज्यादातर बूथों पर बूथ एजेंट तक नहीं थे।

उन्होंने आगाह किया है कि इस मामले को गंभीरता से लें। ऐसे जिम्मेदार लोगों को चिन्हित कर कार्रवाई की जाए। अगर समय रहते संगठन से ऐसे लोगों को बाहर नहीं किया गया तो विधानसभा चुनाव में दुष्परिणाम झेलना पड़ सकता है। 

आरंभ हुआ समीक्षा का दौर तो आने लगी शिकायतें

लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन ने समीक्षा का दौर आरंभ किया है। हर सीट पर जीत-हार की वजहों समेत उन तत्वों को चिन्हित किया जा रहा है जो इसके कारक बनें। जिला कमेटियों से लेकर निचले स्तर तक फीडबैक लिया जा रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा में भी समीक्षा का दौर जल्द आरंभ होगा। महासचिव विनोद पांडेय के मुताबिक लोकसभा चुनाव परिणाम की समीक्षा की जाएगी।

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