न्यूजरूम टीम:झारखंड की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन झामुमो को खत्म करें अब बीजेपी में शामिल हो रहे हैं, सूत्रों के मुताबिक चंपई आज बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। चंपई ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां कर साफ कर दिया कि वे झामुमो छोड़ देंगे। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर घर से झामुमो का नाम और घर से झंडा हटा दिया। पुरातात्विक गांव सरायकेला केलिंगगोड़ा स्थित घर से भी झामुमो का झंडा हटा दिया गया है। सोशल मीडिया पर अब नाम के साथ सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री का नाम लिखा है। इससे पहले रविवार को वे नॉमिनेट से कोलकाता होते हुए दिल्ली प्रदेश पहुंचे। साथ में दोनों बेटे भी हैं। उनके लिए झारखंड भवन में तीन कमरे बुक हैं। कोलकाता में उनके भाजपा नेता शुभेदु अधिकारी से भी मुलाकात हुई। वहीं दिल्ली में भी कई बीजेपी नेताओं ने अपनी मुलाकात की है. रविवार को ही भाजपा की सदस्यता ले ली गई। लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दिल्ली में नहीं थे. रविवार रात को बीजेपी के कई बड़े नेताओं से मुलाकात की जानकारी दी गई है।
उनकी दिल्ली यात्रा से राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। दिल्ली एयरपोर्ट पर सितारों से बातचीत में चंपई ने बीजेपी में जाने की बात को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि वे अपने निजी काम से दिल्ली आये हैं। उन्हें अपनी बेटी से अपॉइंटमेंट और मेडिकल चेकअप की अनुमति है। उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि उनकी किसी बीजेपी नेता से मुलाकात हुई है.
जबरदस्ती में नया विकल्प विकल्प का निर्णय
दिल्ली पहुंच चंपई ने पहले पाला बदल पर गोलमोल जवाब दिया। हालांकि शाम को सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए पार्टी नेतृत्व पर खुद को अपमानित करने का आरोप लगाया। पोस्ट में उन्होंने लिखा कि लगातार विचारधारा वाले व्यवहार से विचारधारा में बदलाव का निर्णय लिया गया है।
राजनीति से संत लेना या नया दोस्त ही चरित्र बचा था, अब शुरू होगा जीवन का नया अध्याय
चंपेई ने अपना दर्द साझा करते हुए कहा कि लगातार अपमान और तिरस्कार के बाद उनकी सामने की राजनीति से संत लेने, अपना संगठन खड़ा करने या नए दोस्त के साथ यात्रा करने का विकल्प बचा था। मेरे लिए विधानसभा चुनाव से लेकर यात्रा तक के लिए विकल्प खुले हैं। अपमान और उत्पीड़न के कारण मैं वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गया। आज से मेरे जीवन का नया अध्याय प्रारंभ होने जा रहा है।
झामुमो के लिए बड़ा झटका
चंपेई सोरेन परिवार के सबसे करीबियों में से एक हैं। इसी तथ्य से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि जेल में बंद होने के मामले में पहले सीएम विल्सन सोरेन ने सीएम पद की जिम्मेदारी चंपई को दी थी। शिष्यों को अस्पताल के जेल से बाहर आने के बाद जिस प्रकार से उनके सहायक सीएम पद से हटाने के लिए मजबूर किया गया, उन्हें प्रताड़ित किया गया।
बीजेपी के लिए लाभ का सौदा
लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने झामुमो के हाथों सभी को पांच सुरक्षित आरक्षण दिया था। यह भी पढ़ें: जज़बान कैथोलिक की शब्दावली का आलम यह था कि केंद्रीय मंत्री रह रहे अर्जुन मुंडा भी अपनी सीट पर नहीं बचे थे। चंपई सोरेन परिवार के करीबी और आदिवासी वर्ग के दिग्गज नेता हैं, ऐसे में चंपई की बगावत से झामुमो को नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में बड़ा झटका लग सकता है।