झारखंड के गुमला में पिछले कई महीने से संचालित एक चीटफंड कंपनी 200 से अधिक ग्रामीणों से लोन देने के नाम पर लाखों रुपये की ठगी कर चंपत हो गई है। चिटफंड कंपनी ने हर एक ग्रामीण से 3050 रुपये लेकर 65 हजार रुपये का लोन देने का वादा किया था। दो-तीन दिनों से फोन नहीं उठाने के बाद इस फ्रॉड का खुलासा हुआ।
वित्तीय जागरुकता अभियान चलाने के बाद भी लोगों में जागरुकता नहीं आ पा रही है। यही कारण है कि चिटफंड कंपनियां लोगों से ठगी कर अपना मतलब साधने में सफल हो रहे हैं।
झारखंड के गुमला शहर के सरनाटोली स्थित एक मकान में पिछले कई माह से संचालित चीटफंड कंपनी एमएस माइक्रो फाइनांस लि. के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के दो सौ से अधिक ग्रामीणों से लोन देने के नाम पर लाखों रुपये की ठगी कर चंपत हो जाने का मामला प्रकाश में आया है।
ठगी का पता कैसे चला?
चिटफंड कंपनी ने प्रत्येक व्यक्ति से 3050 रुपये लेकर 65 हजार रुपये का लोन देने का वादा किया था। दो-तीन दिनों से जब ठगी करने वाले मोबाइल नहीं उठाने लगे तो लोगों को शक हुआ।
ठगी के शिकार हुए ग्रामीण एक दूसरे से बात कर मंगलवार को सरना टोली स्थित उस मकान में पहुंचे जहां चीट फंड कंपनी का ऑफिस चलता है। यहां पहुंचने पर कार्यालय बंद पाया गया तब ग्रामीणों ने इसकी सूचना पहले थाना को देने मुनासिब समझा।
जब थाना पहुंचे ठगी के शिकार तो…
जब थाना पहुंचे और वहां बातचीत किया तब किसी पुलिस वाले ने कहा कि जब आप पैसा जमा करने गए थे, तब थाना पूछने आए थे क्या। यह जवाब सुनकर ग्रामीण वहां से दबे पांव लौट गए। पुन: कार्यालय वाले भवन में पहुंचे और हंगामा करने लगे।
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विश्वास में लेने के लिए अपनाते थे कई तरह के हथकंडे
ग्रामीणों ने बताया कि कई एजेंट तैयार किए गए थे, जो गांवों में घूम-घूमकर लोगों से राशि वसूलते थे। लोगों को कार्यालय का हवाला देकर राशि वसूला जाता था। कहा जाता था कि ठगी करने के लिए कार्यालय नहीं खोले हैं।
ग्रामीणों का विश्वास जीतने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते थे। ग्रामीण भी इनके झांसे में आकर किसी ने गाय बेचकर तो किसी ने बकरी बेचकर पैसे दिए थे।
मो. अख्तर, विजय पासवान, प्रदीप साहु, शुभम साहु, अरुणा देवी ने बताया कि सुदूरवर्ती क्षेत्र बसिया, बनारी, टोटो, किंदिरकेला, बसुआ जैसे दर्जनों गांव के लोगों को ठगा गया है। लोगों ने बताया कि कार्यालय में खुद को मैनेजर बताने वाला सुमन कुमार सिंह आधार कार्ड के अनुसार सहरसा का रहने वाला है।
इधर, हंगामा के दौरान जिस किराए के मकान में ऑफिस चलता था उसी मकान में रहने वाले अन्य किराएदारों के साथ भी ग्रामीणों का तूतू-मैंमैं होने लगा। ग्रामीणों द्वारा गाली गलौज किए जाने पर किराएदार आपत्ति जता रहे थे।