झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में गम्हरिया रेलवे स्टेशन के पास चार लोगों की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। दुर्घटना के समय उत्कल एक्सप्रेस 120 किलोमीटर की गति से चल रही थी इसलिए ट्रैक पार करते राहगीरों को संभलने का मौका नहीं मिला। अधिकतरी पैदल यात्री इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। घटना के बाद सफाई कर्मचारी टार्च की मदद से बाल्टी में एक-एक शव के अंग को चुनते रहे।
19 Jan 2024
जमशेदपुर : गम्हरिया स्टेशन पर हुई दुर्घटना के समय उत्कल एक्सप्रेस 120 किलोमीटर की स्पीड से चल रही थी। घने कोहरे के बीच पैदल ट्रैक पार कर रहे राहगीर जब तक कुछ समझ पाते, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। गम्हरिया स्टेशन से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर नीमपाड़ा गांव का उक्त रास्ता है, जहां गुरुवार शाम हुई ट्रेन से कटकर चार राहगीरों की मौत हो गई।
राहगीरों को संभलने का नहीं मिला मौका
यहां पर अप व डाउन लाइन सहित यार्ड के लिए अलग-अलग ट्रैक बने बिछे हुए हैं। हर एक ट्रैक आगे जंक्शन प्वाॅइंट से जुड़ा हुआ है, जहां ट्रेन एक ट्रैक से दूसरी ट्रैक पर जाती है।योग नगरी ऋषिकेश से पुरी को जा रही उत्कल एक्सप्रेस का गम्हरिया या आदित्यपुर स्टेशन पर ठहराव नहीं है इसलिए ट्रेन अपने तय निर्धारित 120 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही थी और पलक-झपकते ही राहगीर ट्रेन की चपेट में आ गए। उन्हें संभलने के लिए चंद सेकेंड का भी समय नहीं मिला। घटना के बाद स्थानीय थाना की पुलिस और जीआरपी चश्मदीदों की तलाश कर रही है ताकि पता चल सके कि मृतक कौन थे। उनका आपस में क्या संबंध है और घटना के समय वे कहां जा रहे थे।
पैदल यात्री नियमित करते हैं रास्ते का इस्तेमाल
घटना स्थल के बगल में ही आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र का फेज-6 है। यहां अधिकतर बड़ी कंपनियां संचालित हैं। ऐसे में हजारों स्थानीय निवासी नीमपाड़ा, उदयपुर, बगान पाड़ा, बड़ा गम्हरिया बस्ती सहित अन्य इलाकों से पैदल ही ड्यूटी आने-जाने के लिए इसी रास्ते से बास्को नगर स्थित औद्योगिक क्षेत्र में आते हैं। हालांकि यहां कोई लेवल क्राॅसिंग या फुट ओवरब्रिज नहीं है इसके बावजूद स्थानीय निवासी अवैध रूप से उक्त रास्ते का इस्तेमाल करते हैं।
बिखरे शव के अंगों को चुनने में लग गए एक घंटे
दुर्घटना में टक्कर इतनी जोरदार थी कि तीन शव पूरी तरह से क्षत-विक्षत हो गए थे और शरीर के अलग-अलग अंग दूर तक बिखर गए। ऐसे में रिलीफ टीम के साथ पहुंचे सफाई कर्मचारी टार्च लाइट की मदद से बाल्टी में एक-एक शव के अंग को चुनते रहे। जब पूरा ट्रैक साफ हुआ तभी ट्रेनों के परिचालन को शुरू कराया गया।
घटना स्थल पर था घुप अंधेरा
जिस स्थान पर दुर्घटना हुई वहां घुप अंधेरा था। स्थिति ये थी कि रिलीफ टीम को जनरेटर की मदद से बड़े-बड़े एलईडी लाइट जलाकर क्षेत्र में रोशनी कर राहत कार्य करना पड़ा।
हूटर बजते ही मचा हड़कंप
टाटानगर रेलवे स्टेशन पर शाम लगभग सात बजे एक-एक कर पांच बार हूटर बजाए गए। इसके बजते ही स्टेशन में मानो हड़कंप मच गया। हर कोई एक-दूसरे को यही पूछने में लगा रहा कि आखिर क्या हुआ। अंदेशा ये जताया जा रहा था कि कहीं कोई यात्री ट्रेन बेपटरी तो नहीं हुई है क्योंकि मंगलवार को ही टाटानगर रेलवे स्टेशन पर एक मालगाड़ी के तीन डिब्बे बेपटरी हो गए थे।
10 मिनट में तैयार हुई रिलीफ ट्रेन
हूटर बजते ही 10 मिनट में टाटानगर रेल प्रबंधक अभिषेक सिंघल, टाटानगर जीआरपी गुलाम रब्बानी, सिविल डिफेंस के निरीक्षक संतोष कुमार, रेल अस्पताल की महिला डाक्टर ए टोप्पनो सहित सिविल डिफेंस व जीआरपी के जवान तैयार हुए। जरूरी मेडिकल उपकरण, आक्सीजन सिलेंडर लेकर रवाना हो गए।तीनों थानों की पुलिस भी मौके पर रही उपस्थितघटना की सूचना मिलते ही आदित्यपुर थाना प्रभारी राजन कुमार, गम्हरिया थाना प्रभारी आलोक दुबे और आरआइटी थाना प्रभारी सागर लाल माहथा भी पहुंचे और विधि-व्यवस्था बनाने में पहल की।