दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस मामले की एक आरोपी गुलफिशा फातिमा की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी, जिसमें पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के पीछे “बड़ी साजिश” का आरोप लगाया गया था। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और जसमीत सिंह की खंडपीठ ने कहा कि फातिमा न्यायिक हिरासत में थी और नजरबंदी को अवैध नहीं कहा जा सकता। अदालत ने कहा, “यह अच्छी तरह से तय है कि बंदी प्रत्यक्षीकरण का रिट उस व्यक्ति के संबंध में नहीं होगा जो न्यायिक हिरासत में है।” फातिमा को इस मामले में 09 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में है। उसने याचिका में अपने वकील के माध्यम से दलील दी कि न्यायिक हिरासत में उसकी हिरासत “अवैध और अमान्य” है और पिछले साल निचली अदालत द्वारा उसकी न्यायिक हिरासत बढ़ाने के आदेश की वैधता पर सवाल उठाया था। याचिका की सुनवाई पर सवाल उठाते हुए अदालत ने कहा कि अगर फातिमा को निचली अदालत के आदेश के खिलाफ कोई शिकायत है तो वह आगे के न्यायिक उपाय का लाभ उठा सकती हैं। अदालत ने कहा कि इस आदेश को उचित न्यायिक कार्यवाही में उचित मंच के समक्ष चुनौती दी जा सकती है। .
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