भूपेश बघेल ने सदन में कहा कि कुछ विपक्षी सदस्य यह प्रश्न उठा रहे हैं कि अतिशेष धान राज्य सरकार क्यों बेच रही है? मैं कहना चाहता हूं कि आप हमें 60 लाख मीट्रिक टन केन्द्रीय पूल में जमा करने की अनुमति दिला दीजिए, हमें बाहर धान या चावल बेचने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि हम धान का उपार्जन केन्द्र सरकार के लिए करते हैं। एक समय था जब देश में अनाज की कमी थी, तब इंदिरा गांधी के आव्हान पर हरित क्रांति हुई। हमारे किसानों ने उस चुनौती को स्वीकार किया। देश स्वावलंबी हुआ और आज जब आधिक्य हो गया तो आप व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण दर 2 हजार 500 रुपए से बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा करने के साथ-साथ समर्थन मूल्य पर खरीदे जा रहे 7 लघु वनोपजों की संख्या बढ़ाकर 52 कर दी है। इसके साथ ही हम लघु वनोपजों का वैल्यू एडीशन भी कर रहे हैं। हम लोगों ने वन अधिकार पत्र के उन मामलों का भी निराकरण किया, जो पूर्व में निराकृत नहीं किए गए थे। वनवासियों को उनकी काबिज वनभूमि के वन अधिकार पत्र वितरित करने के मामले में छत्तीसगढ़ देश में अव्वल है। हमनें 4 लाख 33 हजार व्यक्तिगत प्रकरणों में 9 लाख 3 हजार 520 एकड़ और 41 हजार 16 सामुदायिक प्रकरणों में 37 लाख 870 एकड़ इस प्रकार कुल 46 लाख 4 हजार 399 एकड़ वनभूमि का अधिकार दिलाया है।
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