लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के दावेदारों की चार सूची तैयार होगी। जो नाम तीनों सूचियों में कॉमन होंगे, उन्हें ही पार्टी प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारेगी। छत्तीसगढ़ में लोकसभा सीटें कम हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस के पक्ष में लहर रही, उसे देखते हुए पार्टी हाईकमान यहां की एक भी लोकसभा सीट को गंवाना नहीं चाहती है। इस कारण विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन में बेहद सावधानी बरती जा रही है।
कांग्रेस में जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश शुरू कर दी गई है। दिल्ली से आई रिसर्च विभाग की टीम सभी 11 लोकसभा क्षेत्रों में पहुंचकर सर्वे कर रही है। विभाग के सूत्रों के अनुसार 31 जनवरी तक रिसर्च विभाग का काम पूरा हो जाएगा। पार्टी सूत्रों की मानें तो 26 जनवरी के बाद पार्टी हाइकमान चुनाव पर्यवेक्षक की नियुक्ति कर देगी। उसके साथ ही ब्लॉक स्तर पर दावेदारों का आवेदन लेना शुरू हो जाएगा।
वहीं, प्रदेश कांग्रेस कमेटी भी प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में जुट जाएगी। ये तीनों स्तर के सर्वे जमीन पर होंगे, लेकिन एक सर्वे ऐसा होगा, जो हाईटेक तरीके से होगा। कार्यकर्ताओं की पसंद का नाम शक्ति एप के माध्यम से सीधे राहुल गांधी की टीम के पास पहुंचेगा। चार तरीकों से दावेदारों के नाम जुटाए जा रहे हैं, मतलब पार्टी हाईकमान को केवल नेताओं और कार्यकर्ताओं की पसंद पर भरोसा नहीं है। जनता की पसंद का भी ध्यान रखा जाएगा। अंत में यह देखा जाएगा कि सबकी पसंद क्या है, उसी नाम पर मुहर लगेगी।
काम ज्यादा है और समय कम
विधानसभा चुनाव में इसी फॉर्मूले से प्रत्याशी फाइनल किए गए थे, लेकिन उस वक्त प्रक्रिया पूरी करने में लगभग तीन माह लग गए थे। अभी लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के पास उतना समय नहीं है। इस कारण रिसर्च विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जल्द से जल्द रिपोर्ट मांगी है।
ऐसे तैयार होगी चार सूची-
रिसर्च विभाग-
दिल्ली से रिसर्च विभाग की टीम के आठ से दस लोग पांच दिन पहले छत्तीसगढ़ आ चुके हैं। विभाग के प्रदेश अध्यक्ष इदरीश गांधी का सहयोग लेकर टीम प्रदेश का दौरा कर रही है। यह टीम हर लोकसभा सीट के लिए तीन-तीन नामों का पैनल तैयार करेगी। पहला वह नाम होगा, जो पूर्व में विधानसभा, लोकसभा चुनाव लड़ चुका है या जनप्रतिनिधि हो, दूसरा नाम क्षेत्र का सबसे लोकप्रिय पार्टी का पदाधिकारी हो, तीसरा नाम ऐसे कार्यकर्ता का होगा, जो क्षेत्र का अच्छा जननेता है।
पर्यवेक्षक-
हाईकमान किसी वरिष्ठ नेता को पर्यवेक्षक बनाकर भेजेगी। पर्यवेक्षक तक ब्लॉक स्तर से होकर दावेदारों का नाम पहुंचेगा। दावेदार ब्लॉक अध्यक्ष को आवेदन देंगे। ब्लॉक अध्यक्ष के माध्यम से सूची जिलाध्यक्ष तक पहुंचेगी। उसके बाद पर्यवेक्षक जिलाध्यक्षों के साथ बैठक करेंगे और एक-एक दावेदारों के नामों पर चर्चा करेंगे। ब्लॉक अध्यक्षों से भी फीडबैक लिया जाएगा। पर्यवेक्षक कुछ क्षेत्रों में घूमकर कार्यकर्ताओं का फीडबैक भी लेंगे। उसके बाद पर्यवेक्षक अपनी रिपोर्ट के साथ सूची हाईकमान को सौंप देंगे।
पीसीसी-
प्रदेश कांग्रेस कमेटी अपने स्तर पर सूची तैयार करेगी। हर जिले के अध्यक्षों से जिताऊ दावेदारों का नाम मांगा जाएगा। पदाधिकारियों का कहना है कि जिलाध्यक्षों से पांच-पांच नामों का पैनल मंगाया जा सकता है। पीसीसी जिलाध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों के साथ बैठक करेगी। स्क्रूटनी करके दो-दो नाम बाहर किए जाएंगे। तीन-तीन नामों का पैनल पीसीसी प्रदेश चुनाव समिति को देगी, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बनाए गए हैं। चुनाव समिति मंथन कर हाईकमान को रिपोर्ट भेजेगी।
शक्ति एप-
प्रदेश में शक्ति एप से पार्टी के ढाई लाख नेता-कार्यकर्ता जुड़े हैं। पिछले दिनों दिल्ली में हुई बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि जो कार्यकर्ता छूट गए हैं, उन्हें प्राथमिकता के साथ शक्ति एप से जोड़ा जाए। शक्ति एप के माध्यम से राहुल की टीम कार्यकर्ताओं से जिताऊ दावेदारों का नाम मांगेगी। उसके बाद हर सीट से आए नामों की सूची तैयार होगी। राहुल जब प्रत्याशी चयन की बैठक करेंगे, तब पहली तीन सूचियों के साथ शक्ति एप पर आए नामों की सूची भी लेकर बैठेंगे।
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