छत्तीसगढ़ में भाजपा की पिछली सरकार ने मुख्यमंत्री फैलो नाम से विशेषज्ञों की नियुक्ति की थी। इन विशेषज्ञों को जिलों में कलेक्टरों को सलाह देने और मंत्रालय में विभाग प्रमुखों की मदद करने के लिए नियुक्त किया गया था। इनकी नियुक्ति के समय से ही इस योजना पर सवाल उठने लगे थे।
आलोचना इस बात की हो रही थी कि क्या ये आइएएस अधिकारियों से ज्यादा काबिल हैं जो उनके ऊपर बिठा दिए गए हैं। सीएम फैलो के रूप में कई वरिष्ठ अधिकारियों के बच्चों को मोटी तनख्वाह पर नौकरी मिली हुई थी। सरकार बदली तो इनकी नौकरी चली गई लेकिन अब इस पर राजनीति भी हो रही है।
आखिर सीएम फैलो का काम क्या था। नईदुनिया ने पड़ताल की तो पता चला कि मंत्रालय में पदस्थ सीएम फैलो के पास खास कुछ काम नहीं था। वरिष्ठ आइएएस इनकी सुनते भी क्यों। जिलों में कलेक्टरों से थोड़ी बहुत चर्चा करने के अलावा वहां भी कोई मतलब नहीं था। हालांकि इन्हें कई अधिकार दिए गए थे और इनके कामों का मूल्यांकन करने की पूरी पद्धति और प्रोफार्मा विकसित किया गया था।
सीएम फैलो के पास राज्य सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं को लागू कराने की जिम्मेदारी थी। उन्हें स्वप्रेरणा से नई योजना लागू करने का भी अधिकार मिला हुआ था। सवाल उठाया जा रहा है कि आइएएस के समतुल्य पद पर नियुक्ति किस आधार पर की गई। आरोप लग रहे हैं कि अपनों को उपकृत करने के लिए पिछली सरकार ने खजाना लुटाया है।
सीएम फैलो के काम को पिछली राज्य सरकार ने उल्लेखनीय माना था। पिछले अगस्त में चिप्स ने उनके कामों के मूल्यांकन के लिए एक प्रोफार्मा विकसित किया था। इसमें प्राथमिकता की योजनाओं के क्रियान्वयन और सुधार के लिए उन्होंने जो भी प्रयास किया हो उसके लिए 25 फीसद अंक का प्रावधान था। यह मूल्यांकन दो महीने के काम के आधार पर किया जाना था।
इसी तरह पूर्व से उपलब्ध डैशबोर्ड का उपयोग कर समस्याओं का समाधान करने पर 25 प्रतिशत, सफलता की कहानी, रिपोर्टिंग अधिकारी के अन्य काम पर 20 प्रतिशत अंक दिए जाने थे। इन कामों का मूल्यांकन हर माह किया जाना था। फैलो स्वप्रेरणा से योजना प्रारंभ कर सकते थे। इसके लिए इन्हें 10 अंक मिलते और तीन माह में मूल्यांकन होता। इनमें से उन्होंने कितना और क्या काम किया इसका जवाब देने से अब अधिकारी बच रहे हैं। प्रदेश में दो सीएम फैलो मुख्यमंत्री कार्यालय में, एक मुख्य सचिव कार्यालय में, 12 विभिन्न् विभागों में और 27 जिलों में पदस्थ किए गए थे। इनकी नियुक्ति सितंबर-अक्टूबर 2017 में की गई थी। विभिन्न् क्षेत्रों के पेशवर के रूप में इन्हें 75 हजार से दो लाख तक महीना वेतन दिया जा रहा था। अगर हर फैलो का औसत वेतन एक लाख भी माना जाए तो 42 फैलो पर करीब 14 महीने में तकरीबन छह करोड़ खर्च किए गए।
More Stories
CBSE Exam 2025: इस तारीख से शुरू होगी CBSE 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षा, छत्तीसगढ़ में इतने स्टूडेंट्स देंगे एग्जॉम
Ramvichar Netam: छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री रामविचार नेताम सड़क हादसे में घायल, ग्रीन कॉरिडोर से लाया जा रहा रायपुर
Raipur: झूठे आरोपों से तंग आकर ऑटो मैकेनिक ने घर में फांसी लगाकर कर ली खुदकुशी, सुसाइड नोट में सामने आई ये बात