मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) लोगों को रोजगार मुहैया कराने के साथ ही लगातार उनकी आजीविका का संवर्धन भी कर रहा है। मनरेगा के जरिए निजी डबरियों, तालाबों और कुंओं के निर्माण से सिंचाई की व्यवस्था हो जाने से छोटे व सीमांत किसानों की आर्थिक समृद्धि का रास्ता खुल रहा है। अब वे केवल धान की खेती तक सीमित नहीं हैं। रबी फसलों और सब्जी की पैदावार के साथ ही यह मछली पालन जैसे नए रोजगार का विकल्प भी खोल रहा है। डबरियों, तालाबों और कुंओं के निर्माण से आजीविका संवर्धन के साथ ही निस्तारी के लिए भी पानी मिल रहा है।
मनरेगा से खेत में बने कुंए ने कोरिया जिले के वनांचल भरतपुर के ग्राम जमथान के किसान श्री समयलाल अहिरवार की जिंदगी बदल दी है। कुआं खुदाई के बाद वे खेत से लगी अपनी बाड़ी में सब्जी उत्पादन कर रहे हैं। साथ ही बाड़ी के पास अपनी एक एकड़ भूमि में बाड़ लगाकर गेहूं की फसल भी ले रहे हैं। श्री समयलाल बताते हैं कि पिछले साल उन्होंने तीन क्विंटल गेंहू का उत्पादन लिया था। इस बार भी उन्होंने सब्जी के साथ गेहूं की बुआई की है। चावल के साथ रोटी और सब्जी भी अब वे अपने खेत का उगा खा रहे हैं। अनाज और सब्जी अब उन्हें बाहर से खरीदना नहीं पड़ रहा है।
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