यह सृष्टि परिवर्तन की बेला है। इस समय विश्व इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण समय संधिकाल या संगमयुग चल रहा है। जबकि निराकार परमपिता परमात्मा अपने साकार माध्यम प्रजापिता ब्रह्मा से आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग की शिक्षा देकर संस्कार परिवर्तन और नई सतोप्रधान दुनिया की पुनर्स्थापना करा रहे हैं। यह उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी ने व्यक्त किए। सोमवार को ब्रह्माकुमारी संस्थान के संस्थापक पिता-प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 52वीं पुण्यतिथि पर शांति सरोवर में सद्भावना समारोह का आयोजन किया गया।
उन्होंने कि प्रजापिता ब्रह्मा को इस संस्थान में परमात्मा, भगवान अथवा गुरु का दर्जा नहीं दिया जाता है। अपितु वह भी एक इंसान थे जिन्होंने नारी शक्ति को आगे कर ईश्वरीय सेवा से महिला सशक्तिकरण का कार्य किया। उन दिनों समाज में महिलाओं की स्थिति दोयम दर्जे की थी किन्तु ब्रह्माबाबा ने महिलाओं में छिपी नैतिक और आध्यात्मिक शक्तियों को सामने लाकर विश्व में एक नई शुरुआत की। उन्होंने वैश्विक बदलाव की चर्चा करते हुए कहा कि जब सृष्टि प्रारंभ हुई तो सतोप्रधान थी। उस समय यह दैवभूमि कहलाती थी। सभी प्राणी मात्र दैवी गुणों से संपन्न होने के कारण देवी और देवता कहलाते थे। चहुं ओर सुख और शांति व्याप्त थी। किन्तु द्वापर युग से समाज में नैतिक पतन होने से दु:ख-अशांति की शुरुआत हुई। तब विभिन्न धर्म पैगंबरों ने अपने-अपने धर्मों की शिक्षा देकर नैतिक और सामाजिक गिरावट को रोकने का कार्य किया। जिससे कि अधोपतन की गति में कमी जरुर आयी लेकिन पूरी तरह से उस पर रोक नही लग सकी।
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