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छत्तीसगढ़ : 'चाउर वाले बाबा' रमन सिंह आदिवासियों को बांटेंगे चने

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की पहचान प्रदेश के साथ देशभर में ‘चाउर वाले बाबा’ के रूप में होती है। पिछले दिनों खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब छत्तीसगढ़ आए थे तो उन्होंने रमन सिंह को मंच से ‘चाउर वाले बाबा’ कहकर संबोधित किया था।
चुनावी साल में अब मुख्यमंत्री रमन सिंह लोगों को चना बांटने जा रहे हैं। प्रदेश में आदिवासी वोट बैंक को मजबूत करने के लिए एक बड़ा फैसला लेते हुए आदिवासी बाहुल्य वाले माडा क्षेत्रों में रहने वाले प्रत्येक परिवार को पांच रुपए किलो की दर से हर महीने दो किलो चना देने का फैसला सरकार ने लिया है।
सरकार के इस फैसले का लाभ प्रदेश के सात जिलों के 9 माडा क्षेत्र के 1080 गांवों को मिलेगा। इन विशेष माडा क्षेत्र में अनुसूचित जन जाति बाहुल्य वाली विशेष पिछड़ी जाति बैगा और कमार समुदाय के लोग रहते हैं, जो कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी वोट बैंक में बड़ा रोल अदा करते हैं।
सरकार के इस फैसले के बाद इन माडा क्षेत्र के 1080 गांवों के करीब डेढ़ लाख अंत्योदय और प्राथमिक राशन कार्ड धारी लोगों को फायदा मिलेगा। छत्तीसगढ़ की रमन सरकार की चुनाव में इसी वोट बैंक पर नजर है।
आदिवासी बनाते हैं सरकार : सूबे की सियासत में यह माना जाता है कि चुनाव में जिसके साथ आदिवासी होता है, वही दल सरकार बनाता है। इसके पीछे आदिवासियों को तगड़ा और बड़ा वोट बैंक है। छत्तीसगढ़ विधानसभा की 90 सीटों में से 29 सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व है।
पिछले विधानसभा चुनाव में भले ही भाजपा ने सूबे में अपनी सरकार बना ली हो लेकिन आदिवासी सीटों पर उसको हार का सामना करना पड़ा था। पिछले चुनाव में 29 सीटों में से कांग्रेस ने 18 सीटों पर जीत हासिल की थी तो भाजपा के हाथ महज 11 सीट हाथ लगी थी।
अगर आदिवासियों की पचास फीसदी आबादी वाली माडा क्षेत्र की बात करें तो सूबे में ऐसी सीटों की संख्या 14 है, जहां आदिवासी पचास फीसदी से अधिक संख्या में है। 2013 के विधानसभा चुनाव में इन 14 सीटों में से कांग्रेस को 8 और भाजपा को 6 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। ऐसे में इस बार भाजपा जब पहले से ही एंटी इनकमबेंसी फैक्टर से जूझ रही है तो आदिवासी वोट बैंक को रिझाने के लिए मुख्यमंत्री रमनसिंह कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं।