मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कोरोना संकट काल में भी प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने के दूर-दर्शितापूर्ण निर्णय के सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं। सितम्बर माह में देश के अन्य राज्यांे की तुलना में जीएसटी कलेक्शन के मामले में छत्तीसगढ़ में दूसरी सबसे बड़ी ग्रोथ दर्ज की गई है। छत्तीसगढ़ में पिछले वर्ष सितम्बर माह की तुलना में वर्ष 2020 के सितम्बर माह में जीएसटी कलेक्शन में 24 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गई। वर्ष 2019 सितंबर माह में छत्तीसगढ़ में जीएसटी कलेक्शन 1490 करोड़ रुपए था, जो वर्ष 2020 सितंबर माह में कोरोना संकट के बावजूद बढ़कर 1841 करोड़ रुपए हो गया।
केन्द्रीय वित्त मंत्रालय से जारी जीएसटी संग्रह के ताजा आंकड़ों के अनुसार जम्मू-कश्मीर 30 प्रतिशत की टैक्स कलेक्शन ग्रोथ के साथ प्रथम स्थान पर है, जबकि छत्तीसगढ़ 24 प्रतिशत की ग्रोथ के साथ दूसरे स्थान पर है। राजस्थान में पिछले वर्ष की तुलना में 17 प्रतिशत, हरियाणा में 15 प्रतिशत, दिल्ली में 7 प्रतिशत, गुजरात में 6 प्रतिशत, पंजाब में 5 प्रतिशत, मध्यप्रदेश में 4 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 0.05 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है।
छत्तीसगढ़ में पूरे लॉकडाउन के दौरान प्रदेश के ग्रामीण और वन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां लगातार चलती रहीं। ग्रामीणों और वनवासियों को लगातार रोजगार मिलता रहा। लोगों की जेब में पैसा आया तो इसका लाभ उद्योग और व्यापार जगत को भी मिला। संकट-काल में ग्रामीण क्षेत्रों में जो आर्थिक तरलता बनी रही, उसका लाभ हमारे उद्योगों को भी मिला। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद जैसे ही अनलॉक हुआ तो प्रदेश के आर्थिक विकास से फिर से रफ्तार पकड़ ली। अनलॉक के शुरुआती दौर में ही प्रदेश के 80 प्रतिशत से ज्यादा उद्योगों खुल चुके हैं, और हर दिन न सिर्फ संख्या में, बल्कि दिन-प्रति-दिन उत्पादन क्षमता में भी इजाफा हो रहा है।
वन क्षेत्र में लॉकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ में देश का सर्वाधिक लघु वनोपजों का संग्रहण हुआ। छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले लघु वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 31 कर दी गई है। तेंदूपत्ता का संग्रहण पारिश्रमिक पहले ही बढ़ाकर 4000 रुपए मानक बोरा कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में महात्मा गांधी रोजगार गांरटी योजना के तहत एक दिन में अधिकतम 26 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया। इन सभी गतिविधियों के कारण संकट-काल में भी पूरे प्रदेश में आर्थिक प्रवाह बना रहा।
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