रायपुर। विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने जनसंपर्क विभाग में विज्ञापन के लिए आवंटित राशि में गड़बड़ी का आरोप लगते हुए जांच की मांग की।
विधायक बोहरा द्वारा जनसंपर्क विभाग के मंत्री से पूछे गए सवाल पर सरकार ने जानकारी दी कि विभाग में 243 डिजिटल समाचार पोर्टल इम्पेनल हैं, लेकिन कोई भी राष्ट्रीय समाचार पोर्टल इम्पेनल नहीं किया गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 3179 डिजिटल पोर्टल विज्ञापन पर ₹67.16 करोड़, 12,881 समाचार पत्र विज्ञापन पर ₹147.36 करोड़, 901 टीवी चैनल विज्ञापन पर ₹140.93 करोड़ और 187 रेडियो विज्ञापन पर ₹5.29 करोड़, इस तरह कुल 360 करोड़ खर्च किये गए। जबकि 2024-25 में केवल 134 करोड़ रूपये खर्च किये गए हैं।
इस आंकड़े के सन्दर्भ में भावना बोहरा ने कहा कि खर्च राशि में लगभग दुगुने का अंतर है। इसकी क्या वजह है और अगर कोई विसंगति है तो क्या इसकी जांच कराएंगे ? तब मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने तर्क दिया कि इस वर्ष का जनवरी तक का आंकड़ा है, फरवरी-मार्च के आंकड़े आएंगे तो इसमें भी बढ़ोत्तरी होगी। तब भावना ने कहा कि जब 10 महीनों में पिछले स्तर का आधा भी खर्च नहीं हुआ तब अगले दो महीनों में कैसे संभव है कि पिछले बार का आंकड़ा टच कर जायेगा। भावना ने कहा कि संभवतः ये पिछली सरकार के आंकड़े हैं। क्या विज्ञापनों में इतनी ज्यादा खर्च की जांच कराएँगे ?
होर्डिंग के विज्ञापन में हेराफेरी
भावना बोहरा ने इस संबंध में मिली शिकायत के सन्दर्भ में बताया कि पिछली बार होर्डिंग्स के लिए तीन महीने का विज्ञापन का अनुबंध होने के बावजूद एक माह में ही हटा दिए गए और और पूरे तीन महीने का भुगतान किया गया। इसमें गड़बड़ी की आशंका को इसी बात से बल मिलता है कि इस वर्ष के मुकाबले पिछले वर्ष विज्ञापनों में दोगुना खर्च किया गया। क्या इसकी जांच कराएंगे। इस पर मंत्री ने कहा कि आपके द्वारा कोई स्पेसिफिक जानकारी हो तो परीक्षण करा लिया जायेगा। तब भावना बोहरा ने कहा कि उनके पास सारे डॉक्यूमेंट हैं क्या वे जांच कराएंगे, तब मंत्री जायसवाल जांच कराने की बात कहने से बचते रहे और भावना उनसे पूछती रही। आखिरकार अध्यक्ष डॉ रमन सिंह को यह कहना पड़ा कि मंत्री जी कह रहे हैं कि कोई दस्तावेज हो तो उपलब्ध करा दीजिये, वे जांच कराएंगे।
आदिवासी भूमि विक्रय का मामला
विधायक भावना बोहरा ने कबीरधाम जिले में अनुसूचित जनजातियों की भूमि बिक्री अनुमति से जुड़े प्रश्न किए। राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा ने लिखित उत्तर में बताया कि 2021-22 से 2024-25 तक कुल 118 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से मात्र 16 को अनुमति दी गई। वहीं, बिना न्यायालय की अनुमति से किसी भी भूमि की बिक्री नहीं की गई है।
इलेक्ट्रिक वाहन सब्सिडी पर सवाल
भावना बोहरा ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर दी जा रही सब्सिडी की स्थिति पर सवाल उठाए। सरकार के अनुसार, छत्तीसगढ़ राज्य इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2022 के तहत 10% या ₹1.50 लाख (जो भी कम हो) की सब्सिडी दी जा रही है। अब तक 28,248 लाभार्थी मिले हैं, जबकि लगभग 45,000 वाहन सब्सिडी भुगतान के लिए लंबित हैं। वित्त विभाग को बजट प्रावधान के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन समय-सीमा तय नहीं की जा सकती।