पर प्रकाश डाला गया
- वन विभाग ने बताया कि बाघिन पूरी तरह से स्वस्थ है।
- व्यवसाय के निशान से पता चला कि उसकी उम्र चार साल है।
- नक़ल की जांच से मिल रही बाघिन की पूरी पिटाई।
नईदुनिया प्रतिनिधि, कोरबा। अल्ट्रामार टाइगर रिज़र्व से आई बाघिन कटघोरा के जंगल में छह दिन रही। इस दौरान उन्होंने तीन बार शिकार किया। जंगली सूअर, गाय और एक मछली को अपना समुद्री जीव पेट भरा। यहां केंडेई के घने जंगलों में न तो एकमात्र शिखर सम्मेलन है, बल्कि पीने का पानी भी उपलब्ध है।
बाघिन अच्छे से ही शनिवार को कटघोरा के जंगल से वापस मार्गी की ओर लौट गए। मगर, वन विभाग के सहयोगी बेहद उत्सुक हैं। डीएफओ कुमार निशांत का कहना है कि यह संकेत है कि कटघोरा का जंगल जैव विविधता से भरपूर और समृद्ध है।
उन्होंने बताया कि जिनते भी दिन यहां बाघिन रही, 22 कर्मचारियों की टीम ने 24 घंटे निगरानी की। फेसबुक पर अपलोड होने के कारण उसकी हर एक गतिविधयों का पता असानी से लग रहा है। पसान और कांडई के 64 किलोमीटर के हिस्से में उन्होंने विचरण किया।
शिकार करने के बाद वह कैंडी के साल्ली पर्वत के पास आराम कर रही थी। इस दौरान अवलोकन महाराजा कैमरे से उसकी फोटो ले ली।

एक माह पहले छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया
करीब तीस दिन पहले मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ के जंगल में बाघिन ने सूर्योदय दिया था। इसके बाद से वह यहां विचरण कर रही है। कोरिया में कॉन्स्टेंट बाघिन का शिकार कर रही थी। 16 दिसम्बर को वन विभाग ने बाघिन को जंगल से पकड़ लिया और अचानक बाघिन को आरक्षित कर दिया।
यहां से निकल कर वह गौरेला पेंड्रा-मारगही की वन सीमा से होते हुए कोरबा जिले के कटघोरा वन क्षेत्र तक पहुंचती है। इस दौरान वन विभाग की टीम ने आस-पास के जंगलों में बाघिन की मौजूदगी की सूचना देते हुए उन्हें रहने के लिए भी कहा था।
वन विभाग के अधिकारी का कहना है कि पसान एवं पाली वन परिक्षेत्र पुराने समय से ही बाघों का निवास क्षेत्र है। पिछले साल भी पाली के चैतुरगढ़ के पास एक बाघ देखा गया था।
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व्यवसाय के निशान और केनैन से पता की उम्र
वन मंडल पदाधिकारी कुमार निशांत का कहना है कि जंगल में भ्रमण कर रही बाघिन पूरी तरह से स्वस्थ है। उसकी उम्र चार साल है। उसके दांतों के निशान के माप और कैनाइन दांतों के आधार पर उसकी आयु का आकलन किया जाता है।
वन विभाग का प्रयास है कि वह वन क्षेत्र में ही रहे। जंगल के अंदर उसका विचरण पर लेजर नहीं डाला जा सकता है। उनकी आगे की पहल पर भी वन विभाग की टीम नजर रख रही है।