पर प्रकाश डाला गया
- सावधानी और जागरूकता ही हमारा सुरक्षा कवच।
- बिलासपुर में साइबर अपराधी लोगों से कर रहे गिरोह।
- डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर साझा जानकारी करने से अनुमति।
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। आधुनिकता के बीच साइबर विश्व की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। जिससे हर वर्ग है। गृह मंत्रालय द्वारा प्रत्येक टेलीफोन काल पर लैपटॉप के संदेश भी दिये जा रहे हैं। फिर भी साइबर अपराधी लोगों को नई-नई तरकीबों से ठगने में सफल हो रहे हैं।
इस स्थिति से जुड़ने के लिए जागरूकता और स्थिरता अनिवार्य है। साइबरस्पेस का मुख्य कारण हमारी निजता का हनन और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर जानकारी साझा करने का कारोबार है। पर्यटन, स्कूल-कॉलेज या किराये की कार जैसे सामान्य यात्रियों की खोज में उनसे संबंधित विज्ञापन और डेटा सोशल मीडिया पर दिखाई देते हैं।
AI का इस्तेमाल अपराधी कर रहे हैं
कलात्मक वैज्ञानिक के उपयोग से साइबर हमारी प्रैक्टिस और गोपनीयता तक पहुंच बनाएं। सावधानी और जागरूकता ही हमारी सुरक्षा का सबसे मजबूत कवच है। निर्णय और साइंटिस्ट से हम साइबर इंडस्ट्रीज के जाल से बच सकते हैं।
सामान्य आरक्षण के प्रकार
फ़र्ज़ी ईमेल और कॉल: बैंक या सरकारी विभाग के नाम से ईमेल पर पैसा मांगना।
फ़र्ज़ी ऐप और ओटीपी: अनंत नंबर से आए फोन या ईमेल पर अपलोड किए गए लिंक या ओपीटीपी को साझा करने की सुविधा से बचाया जा सकता है।
अस्वीकृति का खुलासा: स्वजन के सचिवालय मदद या अस्थिरता की जानकारी धारक के नाम पर पैसा माँगना।
कोरियर शेयरधारक: कस्टम ज़ब्ती और एक्शन का डर जोखिम पैसा। पुलिस कार्रवाई के नाम पर भी धमाके हैं।
फ़र्ज़ी सोशल मीडिया: दोस्तों और रिश्तेदारों के नाम से फ़र्ज़ी आधार आर्थिक मदद माँगना।
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बचने के लिए अपनाएं ये उपाय
- किसी भी अज्ञात फोन कॉल या ईमेल पर तुरंत विश्वास न करें। पहले उसके सही होने की पुष्टि करें।
- कभी भी ओटीपी, बैंक विवरण या अन्य गोपनीय जानकारी किसी के साथ भी साझा करने से इनकार करें।
- असहाय दबाव या डर के अवसाद में कोई भी निर्णय लेने से मुक्ति। किसी बिजनेसमैन से मदद मांगें।
- सिद्धांत होने पर डरें नहीं, तत्काल साइबर पुलिस या नामांकन नंबर 1930 पर मांगलिक याचिका।
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डरें नहीं, समझदारी से लें काम
साइबर हमले से बचने का सबसे अच्छा तरीका है लोभ-लालच और भय पर नियंत्रण रखना। जब आप गलत काम नहीं कर रहे हैं, तो किसी दबाव में आने की जरूरत नहीं है। समझदारी से लें काम, संयम रखें। -ललित अग्रवाल, बैंकर्स क्लब समन्वयक, बिलासपुर