पर प्रकाश डाला गया
- ओलंपिक्स में पेल ने ओलंपिक में पदक जीता।
- गांव में खेल का मैदान और कोच की कमी।
- प्लाई ने कहा- प्रतिभाएं दबती हैं।
नईदुनिया न्यूज, सुकमा। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में देश के ओलम्पिक की चर्चा की, जिसमें उन्होंने सुकमा जिले की बेटी पायल कवासी का ज़िक्र करते हुए अपनी बहादुरी की महिमा का ज़िक्र किया।
इसकी जानकारी पाली कवासी को नहीं थी, जब नईदुनिया की टीम विलेज स्पाइडर और पाली को उसके बाद मोबाइल में पियानो की बात बताई गई तो वो खुश हो गया। उन्होंने कहा कि मेरी तरह कई युवा हैं, मेरे अंदर प्रतिभा तो है लेकिन सही मंच नहीं मिल पा रहा है।
जिला मुख्यालय से 20 किमी. राजामुड़ा पंचायत का गरीब गांव बोरगापारा स्थित है, जहां एक कमरे वाले कच्चे घर में अपनी मां के साथ दूर तक पाली कवासी रह रही हैं, उनके साहस की महिमा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात है।
प्लाई कवासी की उम्र 20 साल है, वो अपनी बुर्जुग मां के साथ रहती है। उनके तीन भाई हैं,प्रामाणिक विवाह हो गया है। वह अलग रहते हैं। पाइप के वासी ने दांतेवेड जिले के कट कल्याण से 12वीं तक की पढ़ाई की है। उसके बाद पढ़ाई छोड़ गांव में मां की सेवा कर रही हैं।
ओलंपिक ओलंपिक में भर दिया फॉर्म
प्लाई ने बताया कि गांव में ना तो खेल का मैदान है और ना ही कोच की सुविधा है। वयस्क बीमारी का बहुत शौक था। वो खेलती भी थी, लेकिन पढ़ाई छूटने के बाद घर के कामों में लग गई। कुछ दिन पहले गांव के सचिव फॉर्म भर रहे थे। किसी के अवलोकन पर मैंने भी वन्यजीव ओलंपिक का फॉर्म भरा।
इन खेलों में पदक पाया
उसके बाद पंचायत में भाला फेक में पहला स्थान प्राप्त हुआ। उसके बाद ब्लॉक, जिला फिर से जिला मुख्यालय स्तर में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। वहां मुझे गोल्ड मैडल मिला और बाकी में भी लिया गया, जिसमें मुझे मैडल भी भाग मिला। अब वो घर पर ही माँ के साथ रहती है।
सबसे मशहूर सुनो खुशी से जूम महोत्सवं पैली
पाइप कवासी के घर नईदुनिया की टीम बनी, तो वो घर के आराम में शामिल थी। लोगों से पूछा गया कि आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में उनका नाम बताया है। उनकी बहादुरी को भी उन्होंने सच नहीं माना। मोबाइल पर उन्हें इकोनोमिक, तो वो खुश हो जाओ। उन्होंने नईदुनिया के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया है।
प्रतिभा तो बहुत है, लेकिन मंच नहीं – पाइले
प्लाई कवासी ने कहा कि राजस्थान में मेरी तरह की प्रतिभाओं की कमी नहीं है। उन्हें मंच नहीं, इसलिए प्रतिभा में ही दब जाता है। विदेशी ओलंपिक कार्यक्रम की तरह का कार्यक्रम समय-समय पर होना चाहिए, जिससे मेरी जैसी प्रतिभाओं को मौका मिले। कहते हैं हालात ऐसे भी हों, जब भी मौका मिले तो अपना खतरा दिखाना चाहिए।