HighLights
- एंटी करप्शन ब्यूरो आईपीएस के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था।
- छत्तीसगढ़ के भिलाई के सुपेला थाने में एक्सटार्शन और रायपुर में राजद्रोह का मामला दर्ज था।
- आईपीएस के पास 10 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति मिलने का दावा एसीबी ने किया था।
नईदुनिया न्यूज, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने बर्खास्त आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा दर्ज की गई तीनों एफआईआर को रद्द कर दिया है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविन्द्र अग्रवाल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान इन एफआईआर को द्वेषपूर्ण कार्रवाही का हिस्सा मानते हुए समाप्त करने का आदेश दिया।
जीपी सिंह के अधिवक्ता चंडीगढ़ से सीनियर काउंसिल रमेश गर्ग ने वर्चुअल और अधिवक्ता हिमांशु पांडेय ने फिजिकली उपस्थित होकर तर्क प्रस्तुत किए। जीपी सिंह सन 1994 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं लेकिन वर्तमान में बर्खास्त हैं।
उनके खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में आय से अधिक संपत्ति का मामला, भिलाई के सुपेला थाने में एक्सटार्शन और रायपुर में राजद्रोह का मामला दर्ज था। इन सभी मामलों में जीपी सिंह को 120 दिनों की जेल भी हुई थी। अधिवक्ताओं ने तर्क दिए कि इन मामलों में कई तथ्य स्पष्ट नहीं हैं।
हाई कोर्ट ने जीपी सिंह के खिलाफ दर्ज तीनों मामलों को द्वेषपूर्ण मानते हुए किया समाप्त
ये तीन मामले थे
आय से अधिक संपत्ति मामला : अधिवक्ता ने बताया कि जब्त किए गए गोल्ड से जीपी सिंह का कोई संबंध नहीं था।
एक्सटार्शन का मामला : सालों बाद दर्ज किए गए इस मामले को अदालत ने बदले की भावना से प्रेरित बताया।
राजद्रोह का मामला : कटे-फटे कागजों को आधार बनाकर दर्ज राजद्रोह के मामले में षड्यंत्र का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला।
आय से अधिक संपत्ति के मामले में अधिवक्ताओं ने अदालत को बताया कि जिस सोने की जब्ती का दावा किया गया है, वह सोना न तो जीपी सिंह का है और न ही उनके परिजनों का। इसके अतिरिक्त, एक्सटार्शन के मामले में बताया गया कि यह मामला कई सालों बाद बदले की भावना से दर्ज किया गया है, जो संदेहास्पद है।
वहीं, राजद्रोह के मामले में यह तर्क दिया गया कि जीपी सिंह के ठिकाने से बरामद कटे-फटे कागजों से किसी भी प्रकार का षड्यंत्र साबित नहीं होता। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने जीपी सिंह के खिलाफ दर्ज तीनों एफआईआर को रद्द कर दिया।
ऐसे चला मामला
8 जुलाई 2021 की रात को उनके खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज कराया था। आरोप था कि जीपी सिंह सरकार गिराने की साजिश रच रहे थे। 9 जुलाई 2021 को जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआई जांच की मांग की थी। मामले की जांच के बाद 11 जनवरी 2022 को जीपी सिंह को नोएडा से गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद उन्हें मई 2022 में जमानत मिल गई।
कैट से भी मिली है राहत
आईपीएस जीपी सिंह को कैट ( केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) से भी राहत मिल चुकी है। कैट ने चार हफ्तों के भीतर आईपीएस जीपी सिंह से जुड़े सभी केसों का निराकरण कर उन्हें बहाल करने का आदेश दिया था। जीपी सिंह 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और उन्हें राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जुलाई 2023 में अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी।
5 जुलाई में जीपी सिंह के खिलाफ हुई थी कार्रवाई
एक जुलाई को एसीबी की टीम ने रायपुर पुलिस लाइन स्थित सरकारी बंगले पर छापामार कार्रवाई की थी। इसके अलावा राजनांदगांव और ओडिशा में जीपी सिंह के 15 अन्य ठिकानों पर भी छत्तीसगढ़ एसीबी ने दबिश दी थी। इस कार्रवाई में जीपी सिंह के खिलाफ 10 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति मिलने का दावा एसीबी ने किया था।
इसके अलावा छापे में कई दस्तावेज भी एसीबी को मिले थे। दस्तावेजों के आधार पर एसीबी ने भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज किया था। राज्य सरकार ने 5 जुलाई 2021 को उन्हें निलंबित कर दिया था और उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया।
11 जनवरी को हुई थी गिरफ्तारी
मामले की जांच के बाद 11 जनवरी 2022 को जीपी सिंह को नोएडा से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उन्हें मई 2022 में जमानत मिली। सर्विस रिव्यू कमेटी की सिफारिश पर 21 जुलाई 2023 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आईपीएस जीपी सिंह को अनिवार्य सेवानिवृति दे दी थी।
राज्य सरकार ने भेजा है बहाली का प्रस्ताव, केंद्र ने दी है चुनौती
बर्खास्त आईपीएस जीपी सिंह को बहाल करने के आदेश केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने दिए थे। जिसके परिपालन में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को बहाली प्रस्ताव भेजा था, पर केंद्र सरकार ने अब तक आदेश जारी नहीं किए हैं। दिल्ली हाई कोर्ट में कैट के फैसले के खिलाफ अपील कर दी है। जिसका निराकरण होने के बाद जीपी सिंह की बहाली हो पाएगी।
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