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जब सामूहिक हत्या की गई तब वह किशोरी थी, अब उसकी उम्र 24 वर्ष थी, उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी

31 10 2024 court faisla logo
उसकी उम्र अब 21 साल की सीमा पार कर चुकी है।

नईदुनिया न्यूज, बिलासपुर। डिवीजन बेंच ने कोंडागांव पाक्सो कोर्ट के उस जजमेंट को बरकरार रखा है, जिसमें वाइके को जेल में स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया था, उसकी उम्र अब 21 साल की सीमा पार कर ली गई है।

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राकेश सिन्हा और न्यायाधीश बीडी गुरु की खंडपीठ ने सामूहिक बलात्कार के तहत एक 24 वर्षीय किशोरी की रिहाई के लिए याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ऐसे मामलों में अनैतिक रुख अपनाने से इसी तरह के नए रास्ते खुल सकते हैं, जो समाज और कानून-व्यवस्था के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। उच्च न्यायालय का यह निर्णय न्याय दृष्टांत बन गया है, जिससे कुछ गंभीर मामलों में कठोरता की दिशा तय हो गई है।

डिवीजन बेंच ने कोंडागांव पाक्सो कोर्ट के फैसले में दोषी ठहराए गए दोषी को विक के लिए जेल में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था, क्योंकि उसकी उम्र अब 21 साल की सीमा पार कर ली गई है। सामूहिक गिरोह के दोषियों ने ‘सकारात्मक सुधारात्मक प्रगति रिपोर्ट’ के आधार पर रिहाई की घोषणा की, जिसमें उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया था। पाक्सो कोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म के दोषी किशोर को वर्ष 2019 में आईपीपीसी 376 (डी) और पाक्सो एक्ट की धारा के तहत 20 साल की जेल की सजा और एक लाख रुपये का जुर्माना ठोंका था। एक साल की अतिरिक्त सजा पर कैथोलिक की राशि ना पाटने का निर्देश न्यायालय ने दिया था। पाक्सो कोर्ट ने उन्हें किशोर आश्रय गृह से सेंट्रल जेल में स्थानांतरित करने का आदेश दिया, जिसके बाद दोषी ने ‘सकारात्मक सुधारवादी प्रगति रिपोर्ट’ जारी की, जिसके आधार पर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी।

क्या है मामला

पुलिस ने 19 जून 2017 को सामूहिक नरसंहार के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (डी) और पाक्सो अधिनियम की धारा 4, 6 और 17 के तहत पांच वयस्क सह-आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। उत्पाद की जन्म तिथि 4 अगस्त 1999 है और इस प्रकार उत्पाद अपराध की तिथि 18 वर्ष से कम आयु का है। ध्यान दें, उसके साथ किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत बालकों के संबंध में व्यवहार किया गया था, लेकिन अपराध की तिथि 16 वर्ष से अधिक आयु होने और जघन्य अपराध करने का आरोप होने के कारण 2015 के अधिनियम की धारा 15( 1) के तहत प्रारंभिक आकलन किया गया और अगस्त सितंबर 2017 में किशोर न्याय बोर्ड नारायणपुर ने ग्रेटर के रियल एस्टेट को अधिनियम 2015 की धारा 18(3) के तहत पाक्सो कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया। वयस्क के रूप में पाक्सो कोर्ट कोंडागांव द्वारा अधिनियम 2015 की धारा 19(1)(एआई) के तहत मुकदमा चलाया गया। 20 दिसंबर 2019 को अन्य वयस्क सह-अभियुक्तों के साथ महासभा का फैसला सुनाया गया। कोर्ट ने जब फैसला सुनाया तो उस वक्त वॉक की उम्र 19 साल थी। भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (डी) के साथ यौन अपराध से बाल संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 17 के तहत 20 साल से कम की कैद और एक लाख रुपये की सजा और इसके भुगतान पर एक साल की अतिरिक्त कैद की सजा बताई गई है ।।

क्या है नियम

दोष सिद्ध होने पर 20 दिसंबर 2019 को आरक्षण के माध्यम से जगदलपुर में सुरक्षित स्थान पर रखा गया था। रिवायत में प्रोविजन है कि 21 साल की उम्र तक पूरी तरह से सुरक्षित स्थान पर रखा जाना चाहिए और उसके बाद के प्रॉजेक्ट में प्रॉजेक्ट की धारा 20 के तहत जांच के लिए पाक्सो कोर्ट के समक्ष रखा जाना चाहिए। वर्जन में प्रस्ताव यह है कि हर साल की प्रगति रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए और पाक्सो कोर्ट को पेश की जानी चाहिए।

परामर्श रिपोर्ट में यह सब बातें

29 नवंबर 2021 को विस्तृत परामर्श रिपोर्ट जारी की गई, टैब ऑफर की उम्र 21 साल हो गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि रेवेन्यू का सामान्य आचरण और सुरक्षा की स्थिति में बहुत अच्छी प्रगति हुई है। प्रोडक्ट का ज़ानकारी पेश रिपोर्ट में नाटक से हुई बातचीत के आधार पर लिखा है कि उसके कलाकार मित्र जो उम्र में बड़े थे, असामाजिक प्रवृत्ति के थे और उस समय उसे यह बात समझ में नहीं आई कि क्या गलत था और क्या सही था। वर्तमान में वह उदास है क्योंकि वह अपने केस को लेकर फरार हो गई है, यानी कि वह अब 21 साल की हो गई है। ट्रैक्टर तो नहीं मिल रहा है और उसे भूख भी नहीं लग रही है। उसे पिछली घटना के बारे में कार में बताया गया है।

पाक्सो कोर्ट में ऐसे चला मुकदमा

आरोप है कि 18 जून 2017 को करीब दो से तीन बजे पांच अन्य सह-आरोपियों के साथ सामूहिक कलाकार के रूप में सामूहिक विस्फोट किया गया। तब उसकी उम्र 18 साल से कम थी और इसलिए उस पर किशोर के रूप में पाक्सो कोर्ट में मुकदमा दायर किया गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एफटीसी) कोंडागांव के न्यायालय में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने धारा 376 (डी) और पॉक्सो एक्ट, 2012 की धारा 17 के तहत 20 साल की सजा के साथ एक लाख रुपये की सजा सुनाई गई थी। कोर्ट ने जब फैसला सुनाया तब याचिकाकर्ता की उम्र 21 साल पूरी हो गई थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि जो अब 22 साल का है, उसे जेल में सजा का शेष भाग पूरा करने के लिए सेंट्रल जेल, जगदलपुर स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया है।