Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

21 साल बाद फैसला आया, अविश्वास के बजाय हाई कोर्ट ने धारा 354 के तहत सजा का फैसला सुनाया

19 09 2024 court faisla logo
मुजरिम अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए अपराधियों ने उच्च न्यायालय में अपील की थी

नईदुनिया न्यूज, बिलासपुर। हाई कोर्ट ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले दोषी की सजा को 354 एवं 324 में बदल दिया है। सत्रह न्यायालय से वर्ष 2003 में अपराधी को 10 वर्ष की सजा के आरोप में सजा सुनाई गई थी। उन्होंने इस फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील की थी।

कांकेर जिले के रेजीडेंट क्लास छठवीं के रहस्योद्घाटन के तहत दिसंबर 2000 को स्कूल से निकलने के बाद गांव की अन्य सहेलियों के साथ लकड़ी लेने का जंगल चला गया था। उसी समय सुरेश साहू आए और लकड़ी क्यों तोड़ रहे हो कहा। इस पर लड़कियों ने सूखी लकड़ी लेने की बात कही और डार्कर गांव की ओर भागीं। एक ही समय में नोटबुक ने रॉकेट का हाथ पकड़ लिया और दांत से गालोना को बलपूर्वक डांटा। गांव वालों को जानकारी मिलने पर वे मौज-मस्ती में गए तो आरोप भाग गए। स्वोज़न ने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मैसाचुसेट्स के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (1) एवं 324 के तहत अपराध के तहत मेडिकल जांच के बाद कोर्ट में पेश किया। मामले की सुनवाई के बाद जिला एवं सत्र न्यायालय ने धारा 376 में 10 साल की बंदी एवं धारा 324 में महीने में तीन की सजा सुनाई।

उच्च न्यायालय में फैसले को चुनौती दी गई

मुजरिम अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए अरोपीत ने साल 2003 में हाई कोर्ट में अपील पेश की। उच्च न्यायालय ने साक्ष्य एवं चिकित्सा रिपोर्ट एवं शार्क सहित अन्य गवाहों के बयान का परीक्षण में पाया कि आरोपियों ने समलैंगिकता के प्रयास एवं गालू को दांत से काटने के कारण धारा 324 का दोषारोपण किया। अदालत ने अनाथालय की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया।

उच्च न्यायालय की महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ और यह दिया गया निर्णय

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि, जहां तक ​​सजा का सवाल है तो यह साफ है कि घटना वर्ष 2000 में हुई थी। यह अपील 2003 से (21 वर्ष) है। घटना के समय दोषियों की उम्र 25 वर्ष थी। अब उसकी उम्र 45 वर्ष से अधिक है। अपराधी जेल में भी रह रहा है। उसकी स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं किया गया है। उसे जेल डिस्पले से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा। यह न्यायालय का मानना ​​है कि विशिष्ट जांच और अपराध में अपराधियों को सजा दी जाती है, तो न्याय का उद्देश्य पूरा हो जाएगा। धारा 354 और 324 के तहत अवधि वह पहले ही चुका चुकी है। इस आधार पर अदालत ने अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया है।