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बिहार के भूतही कैंप में सीएएफ के युवाओं ने साथियों के साथ गोलीबारी की, दो की मौत, दो घायल

18 09 2024 crime gun 241
सांकेतिक चित्र

पर प्रकाश डाला गया

  1. भूतही में कैंप की स्थापना पिछले वर्ष ही हुई है
  2. भूतही कैंप में शस्त्रबल के जवान ने की अंडोधंध हथियार
  3. आख़िरकार स्वयं युवा ने अपने ही सहयोगियों पर क्यों लगाया हथियार

नईदुनिया प्रतिनिधि, अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के पिपरियात जिले के भुताही कैंप में गुरुवार को छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (सीएएफ) के जवानों ने यूएसएस राइफल से आतंकियों की सेवा पर हमला कर दिया। गोली लगने से दो गोलियों की मौत हो गई। दो जवान घायल हो गए। घायलों को कुसुमी मेडिकल स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया गया है। छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल का कैंप है भूतही जिले के बौद्ध प्रभावित। कैंप में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल की 11वीं बटालियन की कंपनी स्थापित है।

गुरुवार की सुबह सब कुछ सामान्य था। प्रतिदिन की तरह कैंप के अधिकारी-जवान अपने-अपने काम में लगे थे। सुबह लगभग 11.30 बजे सीएएफ युवा अजय सिदार ने साथी कैसल पर इंसास सर्विस राइफल से गोलीबारी शुरू कर दी। अचानक हुई इस घटना में समुद्र तट के समुद्र तट पर कुछ विस्फोटकों ने काम करते हुए अजय सिदार को व्यवसाय में ले लिया। तब तक एक युवा रूपेश पटेल की मौत हो गई थी। हवलदार अनुज शुक्ला के साथ इंस्पेक्टर संदीप पांडे और राहुल सिंह गोली लगने से घायल हो गए थे। तीन घायलों को परमाणु ऊर्जा संयंत्र को बंद कर दिया गया, कुसमी सोशल हेल्थ सेंटर लाया जा रहा था।

रास्ते में संदीप पांडे ने भी दम तोड़ दिया। घायल अंजू शुक्ला को दोनों आतंकियों ने गोली मारी है। एक अन्य आरक्षी राहुल सिंह भी घायल हैं. सरगुजा रेंज के पुलिस महानिरीक्षक अंकित गर्ग ने बताया कि गोली चलाने वाले एरक्षक अजय सिद्धार्थ को पकड़ कर पुलिस कमिश्नर राजेश अग्रवाल टीम के साथ गार्ड पहुंच गए हैं। गोली वाले आरक्षक से पूछताछ की जा रही है।

अभी तक कारण स्पष्ट नहीं हुआ है। सामरी थाना क्षेत्र के सबाग से लेकर चुनाचुना पुंदाग तक तीन कैंप स्थापित किए गए हैं। बंदरचुआ, भुताही मोड़ और पुंदाग कैंप की स्थापना के बाद से छात्रावास पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। सबाग से चुनाचुना – पुंदाग तक सड़क निर्माण का कार्य बंधक सुरक्षा की उपस्थिति में किया जा रहा है। असाधारण हो के या अलौकिक झारखंड की सीमा से लगा हुआ है। इसी क्षेत्र में झारखंड का बूढ़ा पर्वत पाया गया जो कभी भी राष्ट्रमंडल की शरण स्थली हुआ करता था।