नईदुनिया प्रतिनिधि, धमतरी: संत की जयंती को लेकर आने वाला पर्व हलषष्ठी (कमरछठ) 25 अगस्त को रखा गया है। फेस्टिवल को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। शहर के चौक-चौराहों में इन दिनों पशहर चावल की बिक्री हो रही है। पिछले साल की तुलना में इसमें 15 प्रतिशत तक की बढ़त हुई है। माता-पिता की कामना लेकर कमरछठ पर्व पर कठिन व्रत व्रत पूजा-सतीजन देते हैं।
हलषष्ठी पर्व पर माता की पूजा करने के स्थान पर सगरी गोकर भगवान शंकर गौरी एवं गणेश जी को पसहर चावल, भैंस का दूध, दही, घी, बेल पत्ता, कांशी, खमार, बांसी, भूरा सहित अन्य सामग्रियां दी जाती हैं। पूजनीय पूज्य माताएं घर पर बिना हल के भंडारित अनाज पसहर चावल, छह प्रकार की भाजी को पकाकर प्रसाद के रूप में वितरण कर अपना व्रत तोड़ेंगी।
बिना जोते सागर में पैदा होता है पसहर
इस पर्व पर उपवास तोडकर खस अन्न पसहर (फसाही) चावल का सेवन स्कोर। यह चावल सप्ताहभर पहले बाजार में पहुंचा। शहर की अलग-अलग जगहों और बाजारों में बिक रहा है ये चावल। लोगों ने इसका प्लांट भी शुरू कर दिया है। इस चावल की खास बात यह है कि यह बिना हल के ही सावधानी में पैदा होता है।
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चावल व्रत तोड़ने की परिभाषा
हलषष्ठी के पर्व पर इस चावल की मांग अधिक होती है। सिद्धांत यह है कि, यह चावल से ही व्रत तोड़ने की पुरानी परंपरा है। बाजार में पसहर चावल 20 से 30 रुपये प्रति बैरल (पाउ) में बिक रहा है। इसमें भी अलग-अलग प्रकार के पसहर चावल हैं। मोटा और साचा चावल के भाव तय करने के लिए दिए गए हैं।
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