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‘वेगिन’ में फिर ‘जगी नगद’ वापसी की आस : जिला प्रशासन ने खोली चिटफंड कंपनियों में डूबे लोगों की फाइल, वेगिन’ से मंगाए ओरिजिनल बॉन्ड पेपर, एक जिले में ही 1 अरब 81 करोड़ से ज्यादा का हुआ है निवेश

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पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. चिटफंड कंपनियों में डूबे लोगों के पैसे की फाइल एक बार फिर जिला प्रशासन ने खोली है। इससे नगद की वापसी की आस फिर पत्नियों में जगी है। बता दें कि गरियाबंद में 93598 व्यक्तियों ने 260 चिटफंड कंपनियों में 1 अरब 81 करोड़ 71 लाख 23561 रुपए का निवेश किया है। अकेले राजिम ही ऐसा अनुविभाग है, जहां 37 हजार भारतीयों ने सबसे ज्यादा 100 करोड़ का निवेश चिटफंड कंपनियों में किया है।

पिछली सरकार ने चिटफंड में डूबी रकम वापस दिलाने का वादा कर भूल गई थी, लेकिन अब जिला प्रशासन डूबी रकम को वापस दिलाने की प्रकिया शुरू कर दी है। अपर कलेक्टर अरविंद पाण्डेय ने इसका बीड़ा उठाया है। पांडे ने कहा कि डूबी रकम वापसी के एपिसोड में जो खामियां थीं, उन्हें गोली मार दी गई। नगद वापसी की ढीली पड़ी इन पट्टियों को फिर से खोला गया है। कमियों को दूर कर नई पीढ़ी से अब ओरिजिनल बंद जमा जा रहा है। जिले के सभी पांच सत्रों में गुलामों को बांड जमा कराए जाने के निर्देश व समय सीमा तय की गई है, ताकि चिटफंड पनियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। फिर संबंधित फर्म की संपति मामले में अटैच कर निवेश किए गए वास्तविक राशि की वापसी की जा सकती है। अपर कलेक्टर ने देवताओं से अपील की है कि मूल बॉन्ड पेपर प्रस्तुत करना, अधीनस्थ कार्यालय अथवा तहसील कार्यालय में जमा होता है।

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इन कम्पनियों में ज्यादा डूबे हैं लोगों के पैसे

पिछली सरकार ने चिटफंड कंपनी से पैसे वापस लेने के लिए वर्ष 2021 में आवेदन फार्म जमा किए थे, जिसके अनुसार गरियाबंद अनुविभाग में 15856 लोगों ने 24.38 करोड़, छुरा अनुविभाग में 19210 लोगों ने 17.90 करोड़, राजिम अनुविभाग में सर्वाधिक 37861 लोगों ने 118.26 करोड़, मणिपुर अनुविभाग 16334 लोगों ने 14.31 करोड़ एवं देवभोग अनुविभाग में 6.83 करोड़ का निवेश किया है। अपर कलेक्टर ने कहा कि एक ही निवेश पर परिवार के अन्य लोगों ने भी दावा कर आवेदन किया है। ओरिजिनल बॉन्ड खरीदने से निवेशकों की संख्या और निवेश राशि 20 से 30 फीसदी तक कम हो जाएगी। जितनी जल्दी बांड जमा होंगे, उतनी जल्दी वापसी की प्रकिया शुरू होगी।

जानिए वो 10 कंपनियों के नाम, जहां ज्यादा रकम निवेश हुई

प्राप्त जानकारी के अनुसार सनसाईन इन्फ्राबिल्ड दिल्ली ने 7555 निवेशकों से 9.12 करोड़, रोग्य धन वर्षाडेवलपर उज्जैन ने 6129 निवेशकों से 7.75 करोड़, साई प्रसाद प्रॉपर्टीज लिमिटेड पंजीम गोवा ने 5680 निवेशकों से 13.75 करोड़, एचबीएन फूड्स लिमिटेड ने 4635 निवेशकों से 11.70 करोड़, माइक्रो फाइनेंस लिमिटेड ओडिशा ने 4568 से 10.46 मिलियन, पीएसीएल इंडिया लिमिटेड जयपुर राजस्थान ने 4980 निवेशकों से 10.15 करोड़, साई प्रकाश प्रॉपर्टीजडेवलपर भोपाल ने 3316 लोगों से 7.6 करोड़, निजी निर्मल इन्फ्रा होम ने 3869 लोगों से 15.74 करोड़, मिलियन माइल्स इन्फ्रा ने 3635 निवेशकों से 8.73 करोड़ रुपए और आरएमपीएल मार्किग प्राइवेट लिमिटेड

स्थानीय और प्रभावशाली लोगों को आकर्षक पैकेज पर बनाया गया था एजेंट

प्राप्त दावे के अनुसार 260 चिटफंड कंपनियों ने 1 अरब 81 करोड़ 71 लाख 23561 रुपए का निवेश किया। इसके लिए चेन प्लानिंग, डबल मनी के अलावा कृषि, वनरोपण और अन्य आकर्षक योजनाओं का झांसा दिया गया। स्थानीय युवा, नामचीन चेहरे और प्रभावशाली लोगों को एजेंट आधारित आकर्षक पैकेज का भुगतान किया गया।

नगद वापसी के लिए पूर्ववर्ती सरकार द्वारा लाए गए मार्ग पर संपत्ति नहीं मिलेगी

चिटफंड कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होती ही पुलिस मामले में संबंधित संस्था की प्रापर्टी अटैच कर उसे कोर्ट की अनुमति से बेचती है, फिर उसी रकम को वापस करती है, लेकिन जिले में नहीं बल्कि राज्यभर में 95 फीसदी किसानों की सरकार का पता नहीं चलता है। लगा पढ़ें. ज्यादातर चिटफंड कंपनियां दूसरे राज्यों के हैं। प्रदेश में कुछ ही कंपनी के ज्वाबदारों पर कार्रवाई हुई। निवेश के लिए गए नगद राशि की आधी भी संपत्ति नहीं मिली, तथा उसका रिटर्न भी अधूरी हुई।

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