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पावर सेंटर : ‘ढिंढोरा’…’सिप्लसलर’…’अहाता’…’कौन बनेगा मंत्री’…’रोशन’…-आशीष तिवारी

कॉलम- आशीष तिवारी, स्थानीय संपादक

‘ढींढोरा’

सरकार पर जनता का स्वास्थ्य परीक्षण करने की जिम्मेदारी है। पिछली सरकार में सरकार का ‘स्वास्थ्य’ खराब करने का ठेका लेकर एक कंपनी ने घुसपैठ की और देखते ही देखते सैकड़ो करोड़ रुपए की कमाई कर दी। इस कंपनी के लिए टैब सरकार ने नियम कायदे कानून सब रद्दी की टोकरी में डाल दिए गए थे। कहा जाता है कि उद्यमों की गैर-जरूरी किरायेदारों की गई, उद्यमों में सरकार द्वारा नया सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाया जा सकता था। सेंचुरी की सरकार ने कहा, कंपनी के खैरख्वाह चल बसे। सैकड़ों करोड़ रुपये की फंसता देख कंपनी ने नया खैरख्वाह निर्माण कार्य शुरू किया। जब नई-नई ताजपोशी हो तब उम्मीदों का सागर विशाल होता है। एक ‘खैरख्वाह’ नाम का एक शख्स भी इसी नाम से जाना जाता है। इस ‘खैरख्वाह’ की टीम कंपनी की खिदमत में बिछड़ गई। असफल रूप से बताया गया है कि पिछले दिनों बाकाये राशी का एक भाग जारी हुआ है। करीब 30 करोड़ रुपए. चर्चा तरह-तरह की है. एक चर्चा यह भी है कि चुनाव के बाद संगठन की मेहरबानी पर यह ‘खैरख्वाह’ हो सकता है। छिप छिपकर ऐसा करने से शायद ही कभी अंतिम रूप दिया जा सके। अब पूरा शहर ढिंढोरा पीट आ रहा है।

पॉवर सेंटर : ‘तिलिस्मी अंगूठी’…’खिसकी जमीन’…’पगडंडी’…’गुलजार’…’पोस्टिंग’…’अदावत’…- आशीष तिवारी

‘सिपलसलर’

सरकारी नौकरी के लिए सिपहसालार बने कई लाख करोड़पति थे. मगर मुक्कदर का फर्म था, जिसे उन लोगों ने ही बनाया था। ऐसे ही कुछ रहे,ऑटोमैटिक इंजीनियर के आस-पास कई लोगों के भावों पर बल डाला गया। वास्तविक सिपहसालार की आधी शक्ति उनके सिपहसालरों में होती है, कुछ सिपहसालार तो पूरी शक्ति लेकर आते हैं। डिवीजन में दस्तखत करना है या नहीं यह मंत्री सिपहसालार तय करते हैं। किस्से अपॉइंटमेंट है और किस्से नहीं। यह सब काम अघोषित तौर पर सिपाहसलार करते हैं। इधर-उधर की पैरवी स्मारक जब सिपहसालरों की मूर्तिकला की गई, तब सरकारी बजट बनाने में मशरूफ हो गया था। फिर से नामकरण सिर पर था. छोटी-मोटी याचिका भी आई, तो सरकार के पास सुनवाई का वक्त नहीं था. अब चर्चा है कि सिपहसालारों की कुंडली तैयार करने की तैयारी चल रही है। ऑर्गनाइजेशन का एक विरोधी खेमा है, जिसने बिल्डर्स के आस-पास के उद्यमों को पूरी तरह से तैयार किया है। पिछली सरकार में किसकी भूमिका क्या थी? सत्य का प्रिय कौन था? कौन सी कांग्रेसी का कौन सा आदिवासियों है? केली कालिख सने हाथों से कौन सा हाथ मिला था? शराब के नशे में धुत्त? इसी तरह की डिटेल्स टेक्नोलॉजीज जेल जाती है। जाहिर तौर पर कुछ सिपल्सलारों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। हाल के दिनों में ही संगठन के शीर्ष नेतृत्व के भेजे गए प्रस्ताव में यह कहा गया था कि सिपहसालार का सिपहसालार पावर-ढाई साल में बदल दिया जाए। ऐसा लगता है कि कुछ मामलों में प्रमुख वर्ष का इंतजार भी नहीं करना होगा।

पॉवर सेंटर : ‘छपाई का अब हिसाब’…’डायरी’…’बराक नंबर 15’…’चिट्ठी’…’क्या लिया-क्या दिया’…’रंगत’…’सांय-सांय’…-आशीष तिवारी

‘अहाता’

एक वक्त था, जब शराब कंपनी अहाता में काम करने वाली रूलिंग पार्टी ने अपनी उन कंपनियों को शामिल किया, जिनमें उपकृत करना हुआ था। अब सिस्टम बदल गया है. सरकार रेवेन्यू को बढ़ावा देने के लिए वास्तव में इनोवेशन पर काम कर रही है। राजधानी के एक अहाते की बोली 94 लाख रुपए की लगी। इसका मतलब यह है कि इसका मतलब क्या हो सकता है। सिद्धांत का कहना है कि एक व्यक्ति को एक से अधिक अहाता नहीं दी जा सकती। मगर नियम तोड़ने वाले महारथियों का कोई मुकाबला नहीं। एक ही ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर अलग-अलग नाम से अहाता हासिल किया गया। इस मामले में यह भी बताया गया है कि जाति धर्म का आधिपत्य स्टॉक दहलीज तक ही सीमित है। जब सरकारी तंत्र की बात होती है तो यहां सभी सेक अनयूजुअल बन जाते हैं। अहाता प्राप्तकर्ताओं की सूची में आधा किलो से अधिक बार एक ही ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें लोग हिंदू भी हैं और गैर हिंदू भी हैं। जरा नाम ढूंढिए..दिलचस्प कहानी.

पॉवर सेंटर : ‘जो लेता है, वो नेता है’…’दौर-ए-डिप्टी गवर्नर’…’एक किस्सा ये भी’…’ठन गया’…’अबकी बार’…-आशीष तिवारी

‘कौन बनेगा मंत्री’

छत्तीसगढ़ के 11 वें फ़्रैंचाइज़ी खण्ड को ख़त्म करने के बाद कहा गया कि सरकार के 11 वें फ़्रैंचाइज़ी और ओडिशा में सरकार का बजट समाप्त हो गया है। मंत्री खूब मजे कर रहे हैं. दूसरे ऑर्गेनाइजेशन ने कुछ कलाकारों की भी दोस्ती निभाई है, जो गैंग से ज्यादा खिलाते दिखते हैं। ऑर्गनाइजेशन हर दिन के काम का प्रॉफिट ले रहा है। कहते हैं कि कुछ मंत्री इसलिए ज्यादा खाना बहा रहे हैं, क्योंकि उन्हें कुर्सी छीनने का डर है और कुछ मंत्री इसलिए ज्यादा खाना बहा रहे हैं कि एक और खाली होने जा रही मंत्री कोटे की एक सीट पर उनका नंबर लग जाए। अलकमान सब्र का इमातिहान ले रहा है। नेता इम्तिहान दे रहे हैं. चालू भाषा में इसे लैलीपैप भी कहते हैं। खैर, संगठन सूत्र का कहना है कि किसी भी मंत्री को पद से नहीं हटाया जाएगा और कहा जाएगा कि सरकार में दो नए मंत्री बनेंगे। एक बिकाऊ हुई सीट के लिए विधायक गजेंद्र यादव के नाम की चर्चा सबसे पहले ही जोरों पर है। संघ की मजबूत लैब इसके लिए काम कर रही है। जबकि चुनाव में स्थिति खाली होने वाली है, बृजमोहन अग्रवाल की सीट के लिए प्रत्याशियों की भारी भीड़ है। अग्रवाल की जगह अग्रवाल का नारा बुलंद करने वाला एक धड़ा है, जो यह चाह रहा है कि अमर अग्रवाल एक चेहरा हो सकते हैं। एक मजबूत धड़ा है, जो राजेश मूणत के नाम से जाना जाता है। वैसे तो कहें सरकार का एकमुश्त का कोटा पूरा हो गया है लेकिन अजय चंद्राकर और धरमलाल कोकुइन में हैं। सूरत में कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का विमोचन भी हो सकता है। ऐसा हुआ तो लता पांडे भी मुख्य भूमिका में आ सकती हैं। दुकानदारों के दौर में एक दुकान यह भी है सेंट की मूर्ति, किस ओर करवट की मूर्ति, यह दिल्ली की मूर्ति पर रुकेगा। दिल्ली सबसे मजबूत है यह 4 जून को दोपहर 12 बजे बंद होगा।

पावर सेंटर : ‘सौ छे’…’सद’…’अमन चैन’…’मंत्री के नाम’…’एक ऐसा भी’…’पायलट’…- आशीष तिवारी

‘रोशन’

रोशनी दिखाएँ एक ‘रोशन’ दृश्य बुज़ गया। अन्य चर्चा जोरों पर कि अंधेरे में उसकी रोशनी से गुलशन (बगीचा) का बंधन था। पिछले दिनों मॉडर्ना ने कस्टम मिलिंग के हॉस्टल रोशन चंद्राकर को सेमिनार में ले लिया। रोशन चंद्राकर को कस्टम मिलिंग कंपनी का मास्टर माइंड भी कहा-सुना जाता है। कुछ फ़िक्रमंदों के इस्क्र की खबर छनकर आई थी कि रोशन के तिलिस्म को कोई दूसरा भेद नहीं बताया गया। तरह-तरह की बातें हैं. सिगरेट स्टूडियो ने यूं ही नहीं लिखा था-

कोई ये कह दे गुलशन गुलशन
लाख बलाए एक नशेमन
कातिल रहबर कातिल रहज़न
दिल सा दोस्त न दिल सा दुश्मन
फूल खिले हैं गुलशन गुलशन
लेकिन अपना अपना दामन
आज न जाने राजा ये क्या है
हिज्र की रात और इतनी बड़ी

बैठे हम हर बज़्म में लेकिन
झाड़ू के उठते अपना दामन

पॉवर सेंटर : चंदा..पर्ची..गुजरात फार्मूला..इनोवेटिव अधिनायक..मुहर…- आशीष तिवारी