रायपुर, 12 अक्टूबर 2024/ मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल और वित्त मंत्री श्री ओ.पी.चौधरी के प्रयास से रायगढ़ जिले में निर्माण एवं विकास कार्य अनवरत रूप से स्वीकृत एवं संचालित हो रहे हैं। वित्त मंत्री श्री ओ.पी.चौधरी ने आज लोईंग महापल्ली क्षेत्र में 12 करोड़ 90 लाख की लागत के निर्माण एवं विकास कार्यों का भूमिपूजन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमारा सिर्फ एक ही ध्येय है कि जनता की सुविधा के लिए अधिक से अधिक विकास के कार्य हो। इसको ध्यान में रखकर विकास और जन सुविधा से जुड़े निर्माण कार्यों को लगातार स्वीकृति दी जा रही है। आज सड़क निर्माण कार्यों के साथ लोईंग में बनने वाले आईटीआई भवन तथा बटमूल आश्रम महाविद्यालय में अतिरिक्त निर्माण कक्ष का भी भूमिपूजन किया गया है।
वित्त मंत्री श्री चौधरी ने कहा कि हम लगातार विकास कार्यों को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। निर्माण कार्यों को मंजूरी देने के बाद अब बारिश खत्म होते ही सभी कार्यों की टेंडर प्रक्रिया पूरी कर निर्माण कार्य शुरू करवाया जा रहा है, जिससे इसका लाभ लोगों को मिल सके। उन्होंने अधिकारियों को निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और समय-सीमा का विशेष रूप से ध्यान रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि महापल्ली में 29 लाख की लागत से महतारी सदन का निर्माण होगा। जिसका संचालन महिलाओं द्वारा किया जायेगा।
वित्त मंत्री श्री ओ.पी.चौधरी ने कहा कि लेईंग में आईटीआई भवन निर्माण से यहां पढ़ने वाले छात्रों को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर का लाभ मिलेगा। यहां नए ट्रेड भी शुरू किए जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि आईटीआई से छात्र स्किल सीखते हैं, जो उन्हें उद्योगों में रोजगार पाने और स्वयं का व्यवसाय शुरू करने योग्य बनाएगा। इस मौके पर उन्होंने मौजूद छात्रों को मन लगाकर पढ़ने और हुनरमंद बनकर अपने जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ाने की बात कही।
वित्त मंत्री श्री ओ.पी.चौधरी ने आज 12 करोड़ 90 लाख रुपए के निर्माण कार्यों का भूमिपूजन किया, जिसमें 5 करोड़ 46 लाख से रायगढ़-लोईंग महापल्ली जामगांव मार्ग का निर्माण कार्य लम्बाई-8.60 कि.मी, 2 करोड़ 8 लाख की लागत से कोतरलिया बस्ती पहुंचमार्ग का निर्माण लंबाई 1.55 कि.मी., एक करोड़ 83 लाख की लागत से बस्ती जामगांव-छुहीपाली-जूनाडीह मार्ग का निर्माण कार्य, लंबाई 2.40 कि.मी., 3 करोड़ 44 लाख की लागत से लोईंग महापल्ली में नवीन आई.टी.आई. भवन का निर्माण कार्य तथा बटमूल आश्रम कॉलेज में विधायक मद अंतर्गत स्वीकृत 7 लाख 67 हजार की लागत से अतिरिक्त कक्षों के निर्माण कार्य शामिल हैं।
अंचल के लोगों के आवागमन की सुविधा को देखते हुए वित्त मंत्री श्री ओ.पी.चौधरी ने 2 करोड़ 89 लाख की लागत से बनने वाले कोयलंगा पुल के निर्माण कार्य का प्रारंभ हो गया है। मंत्री श्री चौधरी ने अधिकारियों को इस काम को तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इससे इस क्षेत्र के लोगों की ओडिशा से कनेक्टिविटी बेहतर होगी और उन्हें कम दूरी तय करनी पड़ेगी। पुल निर्माण कार्य प्रारंभ होने पर स्थानीय निवासियों ने हर्ष जताते हुए वर्षों से लंबित मांग को पूरा करने पर वित्त मंत्री श्री ओ.पी.चौधरी को धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर सीईओ जिला पंचायत श्री जितेन्द्र यादव, श्री विजय अग्रवाल, श्री सुकलाल चौहान, श्री सूरत पटेल, श्री अनंत राम चौहान, श्री एन.आर.प्रधान, ईई पीडब्ल्यूडी श्री अमित कश्यप, एसडीओ श्री एम.एस.नायक सहित बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित रहे।
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- जशपुर अंचल में लोकप्रिय हो रही है स्ट्राबेरी की खेती प्रति एकड़ 3 से 4 लाख तक कमाई 60 किसान कर रहे हैं खेती रायपुर 24 फरवरी 2025/ छत्तीसगढ़ के ठंडे क्षेत्रों में स्ट्राबेरी की खेती लोकप्रिय होे रही है। अपने लजीज स्वाद और मेडिसिनल वेल्यू के कारण यह बड़े स्वाद के खाया जाता है। राज्य के जशपुर, अंबिकापुर, बलरामपुर क्षेत्र में कई किसान इसकी खेती कर रहे हैं। स्ट्राबेरी की अभी स्थानीय स्तर पर ही खपत हो रही है। इसकी खेती से मिलने वाले लाभ के कारण लगातार किसान आकर्षित हो रहे हैं। एक एकड़ खेत में इसकी खेती 3 से 4 लाख की आमदनी ली जा सकती है। जशपुर जिले में 25 किसानों ने 6 एकड़ में स्ट्राबेरी की खेती की की शुरूआत की थी, अब 33 किसान 42 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। जशपुर में विंटर डान प्रजाति की स्ट्राबेरी के पौधे लगाए गए हैं। इन किसानों को उद्यानिकी विभाग की योजना राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत तकनीकी मार्गदर्शन और अन्य सहायता मिल रही है। किसानों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में होने वाली स्ट्राबेरी की गुणवत्ता अच्छी है और साथ ही स्थानीय स्तर पर उत्पादन होने के कारण व्यापारियों को ताजे फल मिल रहे हैं। जिसके कारण उन्हें अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। नाबार्ड के एफएसपीएफ योजना के तहत रीड्स संस्था द्वारा बगीचा विकासखंड के ग्राम सन्ना, अकरीकाना, लोरो, कोपा, लरंगा और मैना गांव का चयन स्ट्रॉबेरी की खेती करवाई थी। साल 2023 में उत्पादन भी बेहतर हुआ था और उच्च क्वालिटी के स्ट्रॉबेरी निकले थे। इसे देखते हुए साल 2024 में उद्यान विभाग द्वारा किसानों को किसानों को स्ट्रॉबेरी के उत्पादन से जोड़ा गया और किसानों को विभाग द्वारा सहयोग भी दिया गया है। किसान रीड्स संस्था की देखरेख में लगभग 60 किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। धान के मुकाबले 8 से 9 गुना फायदा स्ट्राबेरी की खेती धान के मुकाबले कई गुना फायदे का सौदा है। जहां धान की खेती के लिए मिट्टी का उपजाऊपन के साथ साथ ज्यादा पानी और तापमान की जरूरत होती है वहीं स्ट्राबेरी के लिए सामान्य भूमि और सामान्य सिंचाई में भी यह लगाया जा सकता है। धान की खेती में जहां देख-रेख की ज्यादा जरूरत पड़ती है वहीं स्ट्राबेरी के लिए देख-रेख की कम जरूरत पड़ी है, सिर्फ इसके लिए ठंडे मौसम की जरूरत होती है। जहां धान से एक एकड़ में करीब 50 हजार की आमदनी ली जा सकती है वहीं स्ट्राबेरी की खेती में 3 से 4 लाख की आमदनी हो सकती है। इस प्रकार धान से 8-9 गुना आमदनी मिलती है। स्ट्राबेरी की खेती छत्तीसगढ़ के ठंडे क्षेत्रों में ली जा सकती है। इसके लिए राज्य के अंबिकापुर, कोरिया, बलरामपुर, सूरजपुर जशपुर का क्षेत्र उपयुक्त है। जमीन का उपजाऊ होना आवश्यक नहीं जशपुर के किसान श्री धनेश्वर राम ने बताया कि पहले उनके पास कुछ जमीन थी जो अधिक उपजाऊ नहीं थी वह बंजर जैसी थी। मुश्किल से कुछ मात्रा में धान की फसल हो पाती थी। जब उन्हें विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन मिलने पर फलंों की खेती प्रारंभ की। नाबार्ड संस्था से सहयोग भी मिला।
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