कोरोना संक्रमितों को राहत देने तथा अस्पतालों में ज्यादा से ज्यादा मरीजों के लिए खाली बिस्तर रखने के लिए हेल्थ विभाग ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की गाइडलाइन के मुताबिक ऐसे मरीजों को 5 दिन में अस्पताल से छुट्टी देनी शुरू कर दी है, जिनमें दवा का डोज लेने के बाद कोरोना के कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं। उनका कोरोना टेस्ट भी नहीं किया जा रहा है। यही नहीं, अस्पताल से जिन संक्रमितों को छुट्टी दी जा रही है, उन्हें सख्त हिदायत है कि 14 दिन तक घर में ही पूरी तरह आइसोलेशन (क्वारेंटाइन) में रहना होगा। इसकी निगरानी भी होगी। पिछले 7 दिन में इसी सिस्टम से राजधानी में बड़ी संख्या में तथा प्रदेश में एक-दो अस्पतालों को मिलाकर 656 मरीज डिस्चार्ज कर दिए गए हैं। जबकि पिछले तीन महीने में पुरानी गाइडलाइन के हिसाब से 1202 मरीजों को ही छुट्टी दी गई थी।
प्रदेश में राजधानी में मिली पहली मरीज 17 दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद ठीक होकर घर लौटी थी। लेकिन अब ऐसे सभी संक्रमितों को केवल 5 दिन ही अस्पताल में रखा जाएगा, जिनकी हालत पूरी तरह खतरे से बाहर है। हेल्थ अफसरों ने बताया कि बिना लक्षण वाले सामान्य हालत के मरीजों को अस्पताल में 4 दवाइयों वाला 5 दिन का डोज दिया जा रहा है। कोरोना के लिए सभी को यह डोज दिया जा रहा है। गंभीर मरीजों का इलाज बाकी लक्षणों के आधार पर होता है। 5 दिन का डोज पूरा करने के बाद ऐसे सभी मरीज जो बिलकुल सामान्य स्थिति में हैं, उन्हें कोरोना टेस्ट के बिना छुट्टी दी जा रही है। जबकि अब तक अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित को छुट्टी तभी दी जा रही थी, जब उसकी दो रिपोर्ट पाजिटिव न आ जाए। लेकिन छुट्टी का यह नियम बनाया गया है कि ऐसे सभी लोगों को अपने घर में 14 दिन क्वारेंटाइन रहना होगा। इस दौरान उन्हें कोई दवाई नहीं खानी होगी। अगर उन्हें कोई परेशानी अाती है तो स्वास्थ्य विभाग को सूचित करना होगा। यही नहीं, डिस्चार्ज किए गए ऐसे मरीजों की निगरानी के लिए विभाग ने अपना सिस्टम डेवलप कर लिया है।
इसी सिस्टम से काफी डिस्चार्ज
आईसीएमआर की इसी गाइडलाइन का पालन करने की वजह से सिर्फ सात दिन में 656 मरीज डिस्चार्ज हो गए हैं। जैसे, 11 जून को पुराने नियमों की वजह से प्रदेश में केवल एक मरीज डिस्चार्ज हुआ था। 12 जून से यह नियम लागू हुआ और पहले दिन 79 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। 13 जून को 81 मरीज, 14 जून को 84, 15 जून को 116, 16 जून को 102, 17 जून को 148 और 18 जून को 48 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया और सभी होम क्वारेंटाइन में हैं।
एक्टिव मरीजों का लोड कम
हेल्थ अफसरों के अनुसार इस नियम से राजधानी ही नहीं, प्रदेश में भी अस्पतालों में भर्ती एक्टिव मरीजों का लोड काफी कम हो गया है। आईसीएमआर ने परीक्षण के बाद यह गाइडलाइन इसलिए बनाई क्योंकि अधिकांश मरीज 5 दिन की डोज में ही स्वस्थ हो रहे हैं। इस सिस्टम की वजह से कोरोना संक्रमितों की मानसिक पीड़ा भी कम होने की उम्मीद है। डॉक्टरों के अनुसार सबसे बड़ा लाभ यही है कि नए मरीजों के लिए हर अस्पताल में बिस्तर उपलब्ध होते रहेंगे। घर जाने के बाद अगर किसी की हालत बिगड़ेगी, तो उसे फिर भर्ती कर लिया जाएगा।
“जिन संक्रमितों की स्थिति 5 दिन के डोज के बाद सामान्य है, उन्हें डिस्चार्ज कर होम क्वारेंटाइन कर रहे हैं। जितने घर गए, सबकी सेहत पर नजर रखी जा रही है। सात दिन में घर लौटे किसी संक्रमित की ओर से शिकायत नहीं आई है।”
-डॉ. अखिलेश त्रिपाठी, मीडिया प्रभारी कोरोना सेल
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