भारतीय संविधान धर्म, जाति और लिंग के भेदभाव के बिना सभी के लिए सम्मानपूर्वक जीवन निर्वाह करने का अधिकार सुनिश्चित करता है, लेकिन आजादी के 75 वर्षों बाद भी समाज बहुत सी रूढ़ियों और पूर्वाग्रहों से मुक्त नहीं हो पाया है। यही वजह है कि समाज के कुछ वर्गों तक उनके संवैधानिक अधिकार नहीं पहुंच पाए हैं। इसे ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने लिंग आधारित भेदभाव को खत्म करने के लिए तृतीय लिंग समुदाय के सामाजिक उत्थान के लिए अनेक स्तरों पर प्रभावी कदम उठाए हैं। इस दिशा में बड़ी पहल तृतीय लिंग समुदाय के लोगों की शासकीय सेवाओं में भर्ती कर की गई है। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने पुलिस और सुरक्षा दस्तों में तृतीय लिंग समुदाय के लोगों की भर्ती करके उनमें आत्मविश्वास जगाने की दिशा में पहल की है। छत्तीसगढ़ पुलिस बल में तृतीय लिंग समुदाय के 13 और नक्सल पीड़ित बस्तर जिले में गठित विशेष-बल बस्तर फाइटर्स में 09 व्यक्तियों की भर्ती तो शुरूआत भर है। छत्तीसगढ़ में मिल रहे प्रोत्साहन और सहयोग से आने वाले दिनों में इस विशेष वर्ग का प्रतिशत शासकीय सेवा में बढ़ने लगेगा। इनका परीक्षाओं में चयन हो सकें इसके लिए समाज कल्याण विभाग द्वारा निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था भी की गई है, जिसका लाभ चयनितों को मिला।
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