राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके आज ‘जलवायु परिवर्तन’ विषय पर आयोजित कॉन्क्लेव के शुभारंभ कार्यक्रम में शामिल हुईं। इस दो दिवसीय कॉन्क्लेव का आयोजन छत्तीसगढ़ सरकार, एमिटी विश्वविद्यालय रायपुर और यूनिसेफ के द्वारा संयुक्त रुप से एमिटी विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया है। इस अवसर पर राज्यपाल ने जल जीवन मिशन का एप्प भी लॉन्च किया।
इस अवसर पर राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि हम सभी इस तथ्य से अवगत हैं कि पिछले कुछ दशकों में पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ा है। इसके प्रति पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे, अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय मानक संस्थानों ने इस पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने भौतिक और प्राकृतिक संसाधनों का नियंत्रित उपयोग करना आवश्यक बताया। साथ ही उन्होंने जल, ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर समस्या पर विचार करने के लिए ऐसे आयोजन को सराहनीय बताया। इसके लिए शासन के साथ सभी लोगों को मिलकर कदम उठाने की आवश्यकता बताई। इस कार्यक्रम से देश-विदेश के शोधार्थी और विद्यार्थी की लाईव भागीदारी पर उन्होंने खुशी व्यक्त की।राज्यपाल ने इस अवसर पर भारतीय उपमहाद्वीप में बड़ी संख्या में ग्लेशियर पिघलने की घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ग्लेशियरों के पिघलने से पेयजल की समस्या, बाढ़ का खतरा जैसी समस्यााएं जन्म लेंगी। जलवायु में परिवर्तन को अब हम विभिन्न क्षेत्रों में महसूस कर सकते हैं। मौसम में परिवर्तन आ गया है। ऋतुओं का चक्र भी बदल गया है। उन्हेांने कहा कि यह परिवर्तन अचानक से नहीं आया, यह मनुष्य के लालच का परिणाम है। उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों केा दोहराते हुए कहा कि ‘‘प्रकृति मानव की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करती है, किन्तु हर मनुष्य के लालच की पूर्ति नहीं करती‘‘। इसलिए उन्होंने संसाधनों के अंधाधंुध देाहन से बचते हुए उसका बेहतर उपयोग करने का संदेश दिया।
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