छत्तीसगढ़ विद्युत सरप्लस राज्य है। यहां लगभग 2 हजार 978 मेगावाट विद्युत उत्पादन हो रहा है। यहां से केन्द्रीय पुल में विद्युत देने के साथ ही देश के अन्य राज्यों को आपूर्ति भी की जा रही है। विद्युत सरप्लस राज्य होने के कारण यहां उद्योगों के लिए अनुकूल वातावरण है। ताप विद्युत गृहों और बढ़ती विद्युत अधोसंरचनाओं से देश के विद्युत उत्पादन में छत्तीसगढ़ अग्रणी स्थान पर है।
छत्तीसगढ़ में घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों के साथ-साथ औद्योगिक प्रतिष्ठान को भी सस्ती बिजली का लाभ दिया जा रहा है। किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए पम्प की क्षमता के अनुसार 6 हजार से 7 हजार यूनिट बिजली रियायती दर पर दी जा रही है। इसके अलावा किसानों को फ्लैट रेट की सुविधा भी दी जा रही है। अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के किसानों को पूरी बिजली निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। अब तक 6.26 लाख किसानों को सिंचाई पम्पों पर विद्यु त खपत में 10 हजार 400 करोड़ रूपए की छूट दी गई है। देश के अन्य राज्यों में महंगी बिजली से लोग परेशान है। वहीं छत्तीसगढ़ में सस्ती बिजली से लोग प्रसन्न है। मुख्यमंत्री का मानना है कि छत्तीसगढ़ में बिजली का उत्पादन अधिक है, तो इसका फायदा यहां के लोगों को मिलना चाहिए।
छत्तीसगढ़ में सस्ती बिजली मिलने से लोगों के रहन-सहन में तेजी से बदलाव आ रहा है। घरों में विद्युत उपकरणों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 01 मार्च 2019 से लागू की गई, हाफ बिजली बिल योजना का लाभ राज्य के लगभग 42 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को मिल रहा है। बिजली बिल में हो रही बचत राशि का उपयोग परिवार में अन्य जरूरी आवश्यकताओं के लिए उपयोग हो रहा है। अब तक घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली बिल में 3236 करोड की राहत दी गई है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को एकलबत्ती कनेक्शन के जरिए विद्युत की आपूर्ति की जा रही है। 30 यूनिट मासिक विद्युत का उपयोग करने वाले 16.82 लाख परिवारों को इसका लाभ मिल रहा है। इस योजना में विद्युत खपत पर 1973 करोड़ रूपए की छूट दी गई है।
मुख्यमंत्री विद्युत अधोसंरचना विकास योजना में नये विद्युत के उपकेन्द्रों की स्थापना और विद्युत लाईनों के विस्तार का काम हो रहा है। इन कार्याें के लिए 817 करोड़ रूपए की स्वीकृति दी गई है। पिछले चार वर्षाें में 59 नये 33/11 केव्ही सबस्टेशन की स्थापना के साथ-साथ 173 किलोमीटर 33 केव्ही और 276 किलोमीटर 11 केव्ही बिजली लाईन विस्तार की गई। नगर निगम क्षेत्रों में मुख्यमंत्री शहरी विद्युतीकरण योजना में विद्युत लाईन विस्तार और अधोसंरचना के कार्याें के लिए चार वर्षाें मंे 172 करोड़ रूपए की स्वीकृति दी गई है, जिससे अब तक 2617 कार्य पूर्ण किए गए हैं। मुख्यमंत्री मजरा-टोला विद्युतीकरण योजना में 238 करोड़ रूपए की लागत से 4593 कार्य कराए गए।
कोरोना काल में इस्पात उद्योगों को मंदी से उबारने के लिए राज्य सरकार द्वारा ऊर्जा प्रभार में राहत दी गई। अप्रैल 2019 से अधिसूचित टेरिफ में ऊर्जा प्रभार पर 80 पैसे प्रति यूनिट की रियायत इस्पात उद्योगों को दी गई। जिसके तहत वर्ष 2019 में मार्च माह तक 413 उद्योगों को 418 करोड़ रुपए की रियायत प्रदान की गई।
प्रदेश में विद्युत पारेषण विस्तार के लिए 36 अति उच्च दाब के निर्माण का काम पूरा किया गया। साथ ही कुरूद में 400 केव्ही क्षमता का उपकेन्द्र, जगदलपुर, नारायणपुर और बिलासपुर (धरदेही) में 220 केव्ही और बीजापुर, उदयपुर, खैरागढ़, खरमोरा एवं इंदामारा में 132 केव्ही की स्थापना कर ऊर्जीकृत किया गया है।
नए पावर प्लांट की स्थापना प्रदेश में 12 हजार 915 करोड़ रूपए की लागत से नवीन 1320 मेगावाट सुपर क्रिटिकल ताप विद्युत परियोजना की स्थापना की जाएगी। हसदेव ताप विद्युत गृह, दर्री (कोरबा पश्चिम) में उपलब्ध रिक्त भूमि पर 660-660 मेगावाट क्षमता की दो सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर इकाईयां स्थापित होगी। इसके साथ ही साथ 7700 मेगावाट के पंप स्टोरेज तकनीक आधारित जल विद्युत परियोजना पर काम प्रारंभ किया गया है।
घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं की शिकायत दर्ज करने के लिए मोर बिजली-मोर एप तैयार किया गया है। इस एप के जरिए घेरलू बिजली खपत की जानकारी के साथ-साथ नये कनेक्शन के लिए आवेदन, कनेक्शन बिजली बिल संबंधी शिकायत सहित विद्युत विभाग की सभी सेवाओं का लाभ उठाया जा सकता है। इसके अलावा विद्युत आपूर्ति में व्यवधान, शिकायतों के लिए केन्द्रीयकृत कॉल सेंटर भी बनाया गया है, जिससे विद्युत आपूर्ति से संबंधी शिकायतों का तत्काल निराकरण हो सके।
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