तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव और राज्योत्सव का आज राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में रंगा-रंग आगाज हुआ। एक बार फिर छत्तीसगढ़ की धरती में विदेशों के 100 कलाकारों सहित देश के विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के 1500 जनजातीय कलाकार आदिवासी संस्कृति के इंद्रधनुषी रंग बिखेरने के लिए जुटे। इन कलाकारों ने आदिवासी नृत्य कला, संस्कृति को सहेजने और संवर्धन के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का आभार जताया।
देश-विदेश से आए ’रंग बिरंगे पोशाक से सजे नर्तक दलों में जबरदस्त उत्साह दिखाई दिया। इन जनजातीय दलों ने जब अपने नृत्य कला की झलकियों का प्रदर्शन किया, तो मानों एक मंच पर संस्कृतियों का अनूठा संगम जीवंत हो उठा। नृत्य दलों ने सामूहिक कदमताल कर अनेकता में एकता की माला से पिरोई जिसमें पुरातन सभ्यता और संस्कृति के रंग एकसार नजर आए। छत्तीसगढ़िया दर्शकों में भी देशी-विदेशी कलाकारों को देखने का उत्साह दिखाई दिया। उन्होंने तालियों और ‘छत्तीसगढ़िया सब ले बढिया‘ बोलकर लगातार कालाकारों का उत्साहवर्धन किया।
साईंस कॉलेज मैदान में राज्योत्सव के लिए मुख्य मंच, पंडालों और स्टॉलों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। यहां जनजातियों की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और लोककलाओं के साथ छत्तीसगढ़ के पौने चार वर्ष की विकास यात्रा की झलक लोगों को देखने को मिलेगी। टोगो, मोजांबिक, सर्बिया, इंडोनेशिया, मालदीव, मंगोलिया, न्यूजीलैण्ड, रशिया, रवांडा और इजिप्ट सहित भारत के कई राज्य इस महोत्सव में तीन दिनों तक अपनी आदिवासी नृत्य कला की झटा बिखेरेंगे।
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