पर प्रकाश डाला गया
- 3000 फ़ीट ऊंचे ढोलकल गणेश स्थापित
- भगवान परशुराम और गणेशजी में हुआ था युद्ध
- हिंदक नाग राजवंशी राजवंश द्वारा स्थापित प्रतिमा
जगदलपुर। 07 सितंबर को गणेश चतुर्थी है, उत्सव के लिए मेहमानों और घर वालों में गणपति बप्पा के जन्मोत्सव की डोलियां चल रही हैं। आज हमने 3000 फीट के पेवेलियन में गणेश जी की अद्भुत प्रतिमा के बारे में बताया। यहां भगवान परशुराम और गणेशजी के बीच युद्ध हुआ था। ऐसी मान्यता है कि इस युद्ध में भगवान गणेश जी का एक दांत टूट गया था, जिसके कारण ही गजानन एकदंत कहलाए।
3000 फ़ुट की दीवार पर स्थापित की गई प्रतिमा
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित भगवान गणेशजी का यह मंदिर बालाडीला के ढोलकल पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर का फुटपाथ समुद्री तल से 3000 फीट ऊंचा है। प्रतिमा ढोलक के आकार के होने के कारण ढोलकल गणेश के नाम से भी जाना जाता है और इसी कारण से इस पहाड़ी का नाम भी ढोलकल से रखा गया है।
11वीं सदी की शुरुआत हुई थी
यहां एक चट्टान पर खुले में गणेशजी की प्रतिमा स्थापित की गई है। छत की कोई व्यवस्था नहीं है। पत्थरों से दीवार बनाई गई है। प्रतिमा के पीछे एक गहरी खाई है। हिंदक नाग राजवंशी राजा ने 11वीं शताब्दी में पहाड़ के शिखर पर गणेशजी की मूर्ति स्थापित की थी। मंदिर तक नवीन अत्यंत दुर्लभ है। दक्षिण अफ्रीका की भोगी जनेबिया ढोलकल की महिला पुजारी को मानते हैं। यहां 12 महीने पूजा की जाती है। और फरवरी में मेला लगता है।
ढोलकर मंदिर की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस पहाड़ी के शिखर पर भगवान गणेश और परशुराम जी का युद्ध हुआ था। युद्ध में भगवान परशुराम के फरसे से गणेशजी का एक दांत टूट गया। इस कारण से गणपति बप्पा एकदंत कहलाए। परशुराम जी के फरसे से गणेशजी का दांत, इसी कारण पहाड़ के तलहटी पर स्थित गांव का नाम फरसपाल पड़ा।
आस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी दन्तकथाओं पर आधारित है। नईदुनिया के लेखों से यह पूछा जाता है कि किस लेख को अंतिम सत्य या दावे के बिना अपने विवेक से उपयोग करें।