आपका बच्चा अगर हांफ रहा है, उसे लगातार सर्दी-खांसी हो रही है तो तत्काल उसे शिशुरोग या फिर कान-नाक-गला (इएनटी) विशेषज्ञ को दिखाएं। संभव है कि उसने कुछ निगल लिया हो। हम इसलिए यह कह रहे हैं क्योंकि अरजुंदा, बालोद के रहने वाले छगन लाल देवागंन के 11 महीने के बेटे कुणाल के साथ भी यही हुआ, लेकिन शुरूआत में पिता ने स्थानीय डॉक्टर (गैर-विशेषज्ञ) को दिखाया।
उसने सर्दी-जुखाम की दवा दी, कुछ दिनों आराम रहा और फिर दोबारा वही स्थिति। डॉक्टर ने एक्स-रे करवाया और कह दिया कि कुछ मर्ज नहीं है। इस बात से माता-पिता संतुष्ट हो गए। बता दें कि एक्स-रे में प्लास्टिक दिखाई नहीं देता।
जब आराम नहीं मिला और कुणाल की सांस फूलने लगी तो वे उसे लेकर दुर्ग पहुंचे। दुर्ग के एक निजी अस्पताल में सीटी स्कैन हुआ तो उसमें पेन का ढक्कन फेफड़े में फंसा हुआ दिखाई दिया। डॉक्टर ने कहा यहां इलाज संभव नहीं है रायपुर ले जाएं।
सोमवार सुबह कुणाल को लेकर पिता बाल गोपाल चाइल्ड हॉस्पिटल पहुंचे, डॉक्टर ने तत्काल कुणाल को ओटी में लिया और ब्रोंकोस्कोपी करके ढक्कन निकाल दिया। पूरा इलाज स्मार्ट कार्ड से हुआ है। बताना जरूरी है कि यह ढक्कन सांस नली से होता हुआ फेफड़े तक पहुंचा था, फेफड़े का एक हिस्सा लगभग ब्लॉक था, जबकि दूसरा काम कर रहा था। डॉक्टर्स का कहना है कि समय पर पहुंचने से कुणाल की जान बच गई।
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