राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके आज पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर की व्हाईट कोट सेरेमनी और चरक शपथ समारोह में शामिल हुईं। राज्यपाल व अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत की गई। इस मौके पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक डॉ. विष्णु दत्त ने नये विद्यार्थियों को चिकित्सा नैतिकता के पालन के लिए चरक शपथ दिलवाई।
राज्यपाल सुश्री उइके ने व्हाईट कोट सेरेमनी को संबोधित करते हुए सर्वप्रथम विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि आप सभी को अथक परिश्रम के उपरांत यह सफलता मिली है और आज उसे साकार होने के हम सभी साक्षी हैं। आपने जिस पेशे का चुनाव किया है, उसे मानवता की सबसे बड़ी सेवा मानी जाती है। आज हर कोई चाहता है कि उसे निरोगी और स्वस्थ शरीर मिले, आगे चलकर इसे पूरा करने में आप सभी का बड़ा योगदान होगा।
राज्यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि आप जानते हैं कि छत्तीसगढ़ एक आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है, जिसमें कई सुदूरवर्ती इलाके ऐसे हैं, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की सुगम पहुंच नहीं है। ऐसे में आप सभी विद्यार्थियों से मेरा आग्रह है कि आप सुदूर जिलों में अपनी सेवाएं दें ताकि इन इलाकों में भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग की पहल पर एम.बी.बी.एस. के प्रथम वर्ष में प्रवेशरत विद्यार्थियों को दिलाये जाने वाले ‘हिप्पोक्रेटिक ओथ’ को ‘चरक शपथ’ से बदलने का निर्णय सराहनीय है। इस पहल से विद्यार्थी भारतीय परम्परागत चिकित्सा और इसके गौरवपूर्ण इतिहास से परिचित होंगे। साथ ही यह शपथ चिकित्सा के क्षेत्र में भारत के योगदान का भी सम्मान है।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि आज जिन छात्रों ने ‘चरक शपथ’ ली है, यह शपथ विद्यार्थियों को अपने कार्य के प्रति और अधिक समर्पित और जिम्मेदार बनाएगा। चरक शपथ डॉक्टरों को खुद से पहले मरीज के बारे में सोचने और कार्य करने के लिए सदैव प्रेरित करेगा।
उन्होंने कहा कि व्हाईट कोट सेरेमनी के माध्यम से नवआगंतुक विद्यार्थियों को महाविद्यालय के बारे में जानकारी मिली होगी, जो उनके शैक्षणिक अनुभव को और बेहतर बनाने में सहायक होगा। राज्यपाल ने कहा कि आप सभी जब पढ़ाई पूरी कर बतौर चिकित्सक अपनी सेवाएं देंगे, तब आप सीधे तौर पर लोगों से जुड़कर उनकी समस्याओं को दूर कर पाएंगे। यही वह समय होगा जब आप अपने काम से संतुष्ट होंगे और लोगों की खुशी आपमें नई ऊर्जा का संचार करेगी, तभी आपको इस पेशे का वास्तविक उद्देश्य और व्हाईट कोट का महत्व भी पता चलेगा। उन्होंने कहा कि इस महाविद्यालय की स्थापना 1963 को हुई थी। मुझे पूरा विश्वास है कि महाविद्यालय के सेवा के इतने वर्षों के गौरवशाली इतिहास को आप सभी निरंतर जारी रखेंगे। यहां प्रतिवर्ष देश भर के 180 एम.बी.बी.एस. स्नातक पाठ्यक्रम और 145 स्नातकोत्तर (एम.डी./एम.एस.) तथा 10 सुपर स्पेश्यालिटी पाठ्यक्रम में विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं। इन पाठ्यक्रमों के बेहतर अध्ययन/अध्यापन के साथ ही महाविद्यालय ने निरंतर शोध कार्य से जुड़े नये कीर्तिमान स्थापित किए हैं, जो छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है। राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि कोविड-19 के विपरीत व चुनौतीपूर्ण समय में इस पेशे से जुड़े लोगों की जिजीविषा ने लाखों लोगों की जिंदगियां बचाई। अपने जीवन की चिंता किये बिना जनसेवा की जो मिसाल इन्होंने पेश की है, उसका कोई सानी नहीं है।
राज्यपाल सुश्री उइके ने चरक शपथ ग्रहण के गौरवपूर्ण व भव्य आयोजन के लिए महाविद्यालय प्रबंधन को शुभकामनाएं दी और कहा कि चिकित्सा आचार संहिता की जो शपथ आज विद्यार्थियों ने ली है, उसे वे अपने दैनिक चिकित्सकीय कार्यों में अक्षरशः पालन करेंगे। इस अवसर पर चिकित्सा महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. तृप्ति नागरिया ने महाविद्यालय की स्थापना व उपलब्धियों से संबंधित जानकारी साझा की। वहीं डॉ. अरविन्द नेरल ने चिकित्सा नैतिकता से जुड़े आचार संहिता की विस्तृत जानकारी दी। इस दौरान महाविद्यालय में प्रथम वर्ष में प्रवेश प्राप्त कर रहे छात्र श्री निखिल गुप्ता ने राज्यपाल सुश्री उइके को अपने हाथों से बनाई गई उनकी स्केच भेंट की।
समारोह में पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्वास्थ्य विज्ञान एवं आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अशोक चंद्राकर सहित मेडिकल कॉलेज के प्राध्यापक और विद्यार्थीगण उपस्थित थे।
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