मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज राजधानी रायपुर के छत्तीसगढ़ पंडरी हाट बाजार परिसर में आयोजित दस दिवसीय ‘‘जगार-2022’’ मेले में पहुंचे और वहां लगाए गए विभिन्न स्टॉलों का अवलोकन किया। श्री बघेल ने इस अवसर पर शिल्पकारों और बुनकरों के कलाकृतियों की सराहना करते हुए उनका उत्साहवर्धन भी किया। गौरतलब है कि मेले में छत्तीसगढ़ सहित 12 राज्यों के शिल्पकारों एवं बुनकरों के विभिन्न उत्पाद के प्रदर्शन सह विक्रय के लिए 140 स्टॉल लगे हैं।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस आयोजन के लिए हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री चंदन कश्यप और विभागीय अधिकारियों को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शिल्पकारों और बुनकरों के उत्पादों को जगार मेले में अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर नवीन शबरी एम्पोरियम का भी अवलोकन किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री चंदन कश्यप, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड श्री कुलदीप जुनेजा, माटीकला बोर्ड के अध्यक्ष श्री बालम चक्रधारी, संचालक ग्रामोद्योग श्री सुधाकर खलखो, महाप्रबंधक हस्तशिल्प बोर्ड श्री शंकरलाल ध्रुर्वे मौजूद थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री बघेल को रायपुर के आर्टिस्ट श्री राहुल दत्ता ने मुख्यमंत्री की पोर्टेट और बनारस घाट की तस्वीर भेंट की।
उल्लेखनीय है कि जगार मेला 10 जून से शुरू हुआ है और 19 जून तक चलेगा। दस दिवसीय जगार मेला में लगी प्रदर्शनी लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी है। इस प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त 12 राज्यों के हस्तशिल्पकारों को अपनी उत्पाद का प्रदर्शन सह विक्रय के लिए आए हुए है। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री चंदन कश्यप, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड श्री कुलदीप जुनेजा, माटीकला बोर्ड के अध्यक्ष श्री बालम चक्रधारी, संचालक ग्रामोद्योग श्री सुधाकर खलखो, महाप्रबंधक हस्तशिल्प बोर्ड श्री शंकरलाल ध्रुर्वे सहित विभागीय अधिकारी-कर्मचारी और बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
इस अवसर पर सिद्धहस्त शिल्पकारों को राज्य स्तरीय हस्तशिल्प पुरस्कार और आई.आई.सी. डी. जयपुर से उत्तीर्ण हुए बुनकर छात्रों को प्रमाण पत्र वितरण कर सम्मानित किया गया। राज्य स्तरीय पुरस्कार हेतु चयनित शिल्पियों में श्री अम्बालाल झारा, ढ़ोकरा शिल्पकार जिला-रायगढ़, श्रीमती तिलोचनी देवांगन, तुमा शिल्पी जिला-बस्तर, श्रीमती रेणु विश्वकर्मा, पेपर मेशी आर्ट शिल्पी, जिला-रायपुर, श्रीमती फरहारो प्रजापति, गोदना शिल्पी, जिला सरगुजा और श्रीमती प्रतिमा डहरवाल, भित्ती चित्र शिल्पी, जिला-रायपुर को वर्ष 2019-20 का राज्य स्तरीय हस्तशिल्प पुरस्कार प्रदान किया गया। इसी तरह श्री जितेन्द्र कुमार बैद्य, ढ़ोकरा शिल्पकार जिला-कोण्डागांव और श्रीमती चांईबाई झारा, ढ़ोकरा शिल्पी जिला-रायगढ़, श्री भागेलाल सोड़ी, लौह शिल्पकार जिला कोण्डागांव, श्री दशरथ कश्यप, काष्ठ शिल्पकार, जिला-बस्तर तथा श्रीमती चम्पा पावले, गोदना शिल्प जिला-सरगुजा को वर्ष 2020-21 का राज्य स्तरीय हस्तशिल्प पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम में आई.आई.सी.डी. जयपुर से उत्तीर्ण हुए छात्रों में श्री राजेश कुमार, श्री दीपक झोरका, श्री मनोज कुमार तथा श्री राजेन्द्र को वर्ष 2020 (क्राफ्ट डिजाईन) हार्ड मटीरियल एप्लीकेशन में 04 वर्षीय डिप्लोमा के लिए प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया। इस दौरान छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के स्मारिका का भी विमोचन किया गया।
उल्लेखनीय है कि यह जगार-2022 मेला कोरोना संक्रमण काल के कारण दो वर्षों बाद लगा है, जिससे शिल्पकारों, बुनकरों और कलाकरों को अपनी कला के बेहतर प्रदर्शन का अवसर मिला है। जगार मेले में हस्तशिल्प के विभिन्न उत्पादों के साथ ही हाथकरघा, खादी ग्रामोद्योग, माटीकला के अनेक आकर्षक उत्पादों की प्रदर्शनी बिक्री के लिए लगाई गई है। इन स्टॉलों में से छत्तीसगढ़ के लिए कुल 80 स्टॉल आवंटित किए गए हैं। वहीं मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और जम्मू एवं कश्मीर के शिल्पकार 60 स्टॉलों में अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर रहे हैं।
जगार मेला-सह प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ राज्य के सुप्रसिद्ध हस्तशिल्प बेलमेटल शिल्प, लौह शिल्प, काष्ठ शिल्प, बांस शिल्प कालीन शिल्प, शिसल शिल्प, गोदना शिल्प, तुमा शिल्प, टेराकोटा शिल्प, छिंद कांसा, हाथकरघा वस्त्रों में कोसे की साड़िया, दुपट्टा, सलवार सूट, ड्रेस मटेरियल, बेडशीट, चादरें एवं विभिन्न प्रकार के रेडीमेंट वस्त्र का प्रदर्शन सह-विक्रय किया जाएगा। जगार मेला-2022 में उत्तर प्रदेश के लखनऊ की चिकनकरी, बनारस की बनारसी साड़ी, मध्यप्रदेश की चंदेरी, महेश्वरी एवं टीकमगढ़ का ब्रांस, पश्चिम बंगाल का जूटवर्क, कांथावर्क एवं बंगाली साड़ियों के अतिरिक्त पंजाब की फूलकारी, राजस्थान की मोजरी व गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, बिहार एवं जम्मू-कश्मीर सहित कुल 11 राज्यों की शिल्प कलाओं का संग्रह देखने को मिल रहा है।
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