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बच्चों के पढ़ने-लिखने और सीखने की क्षमता बढ़ाने पर दें जोर : मंत्री डॉ. टेकाम

स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम आज मंत्रालय में विभागीय काम-काज की समीक्षा करते हुए जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा कि बच्चों की लिखने-पढ़ने और सीखने की क्षमता बढ़ाने विशेष कक्षा लगायी जाए। इसमें भाषा और गणितीय कौशल के विकास पर विशेष ध्यान दिया जाए। स्कूलों में शिक्षकों की जिम्मेदारी तय की जाए। आने वाले एक माह में बच्चों की पढ़ने पर जोर दिया जाए। इसके आधार पर जब सर्वे किया जाएगा उसमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले जिला के शिक्षा अधिकारी को पुरस्कृत किया जाएगा।  
मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि बाल-बाड़ी संचालन के लिए स्कूलों का चयन कर शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाए। उन्हांेने कहा कि स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि प्रदेश में कोई भी भवन जर्जर न हो। बारिश से पहले स्कूलों की मरम्मत और रख-रखाव का कार्य पूर्ण कर लिया जाए। जिन विद्यालयों के लिए राशि जारी हुई है उनका कार्य जल्द से जल्द पूर्ण करा लिया जाए। विभाग द्वारा संचालित योजनाओं में पाठ्य पुस्तक, गणवेश, सायकल, छात्रवृत्ति, मध्यान्ह भोजन, महतारी दुलार योजना, व्यावसायिक शिक्षा का आदि का लाभ हितग्राही बच्चों को समय पर मिले इसके लिए अभी रोड मैप तैयार कर लिया जाए।
मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में शिक्षकों भर्ती और प्रति नियुक्ति की प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण कर ली जाए। इसी प्रकार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी पूर्ण करें। विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए बच्चों की दर्ज संख्या और शिक्षकों की वास्तविक संख्या की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए विभाग के पोर्टल में सही एंट्री करना सुनिश्चित करें। पूर्व की एंट्री में कोई त्रुटि हो तो उसे सुधार लिया जाए।
प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. आलोक शुक्ला ने कहा कि स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में ऐसे जर्जर भवनों को डिस्मेंटल करने की कार्यवाही की जाए। इसके लिए नगरीय क्षेत्र में नगरीय निकाय और पंचायत क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी से प्रमाण पत्र लिया जाए। डिस्मंेटल करने वाले भवनों की जानकारी विभाग के पोर्टल में दर्ज की जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 6536 प्राथमिक स्कूलों में पांच-छह वर्ष आयु समूह के बच्चों के लिए बालबाड़ी शुरू की जानी है। प्रदेश के सभी प्राथमिक स्कूलों में बच्चों के बैठने योग्य कमरों की जानकारी स्कूल परिसर से स्थल की दूरी को भी पोर्टल में दर्ज किया जाए। प्रमुख सचिव ने कहा कि इस बार गर्मी के कारण शिक्षा सत्र 15 मई तक बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि कक्षा पहली से आठवीं तक की परीक्षा नहीं ली जाती, बच्चों का सिर्फ आंकलन होता है। यह परीक्षा बच्चों की नहीं शिक्षकों की है। आंकलन के आधार पर यह तय होगा कि बच्चों की किस प्रकार कि रिमेडियल टीचिंग की जरूरत है।
प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने कहा कि विज्ञान की पढ़ाई बिना प्रयोगशाला के नहीं हो सकती। इसके अलावा गणित एवं कला विषयों की पढ़ाई भी प्रयोगात्मक होनी चाहिए। स्कूलों में एक जुलाई से प्रयोगशाला शुरू हो जाएगी। उन्होंने इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रत्येक हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूलों में इन सभी विषयों में प्रयोग शुरू करने के लिए प्रस्ताव बनाकर दें। उन्होंने बताया कि गर्मी के दिनों में माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा प्रयोगशाला संचालन के लिए स्कूलों के मास्टर ट्रेनरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। डॉ. शुक्ला ने कहा कि मीडिल स्कूलों में भी प्रयोगात्मक छोटी-छोटी गतिविधियां कराई जाए। प्रदेश में आईटीआई शुरू की गई व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम इस वर्ष से हर विकासखण्ड में शुरू किया जाएगा। मुख्य सचिव के निर्देशानुसार हर पंचायत के एक स्कूल और नगरीय क्षेत्र के प्रत्येक वार्ड में एक टायलेट बनाया जाए। बालक और बालिकाओं के लिए पृथक-पृथक टायलेट का निर्माण किया जाए।
सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. कमलप्रीत सिंह ने कहा कि प्रदेश में संचालित गौठानों में स्व सहायता समूह से सब्जी, बड़ी, पापड़ आचार और वहां दाल मिल संचालित हो तो दाल ली जाए। इसका उपयोग प्राथमिक और मीडिल स्कूलों में संचालित मध्यान्ह भोजन में किया जाए। पूर्व के निर्माण कार्यों को 15 जून से पहले पूर्ण कर लिया जाए। बैठक में संयुक्त सचिव स्कूल शिक्षा श्री राजेश सिंह राणा, संचालक लोक शिक्षण श्री सुनील जैन, प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा श्री नरेन्द्र दुग्गा, सचिव माध्यमिक शिक्षा मण्डल प्रोफेसर व्ही. के. गोयल सहित संभागीय संयुक्त संचालक, जिला शिक्षा अधिकारी और शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।