- राज्य गठन के बाद हुई सर्वाधिक धान खरीदी
- 2.50 लाख ज्यादा किसानों ने इस साल बेचा धान
- देर रात तक होगी धान खरीदी: अंतिम आंकड़े आना बाकी
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद प्रदेश में इस साल सर्वाधिक धान खरीदी का रिकॉर्ड बना है। खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में समर्थन मूल्य पर खरीदी के अंतिम दिन आज शाम तक लगभग 83 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है और देर रात तक धान खरीदी चलने की संभावना है। राज्य में गतवर्ष की तुलना में इस साल लगभग दो लाख 50 हजार से ज्यादा किसानों ने धान बेचा है। राज्य में धान खरीदी के लिए 85 लाख मीट्रिक टन का अनुमान लगाया गया है। प्रदेश में गत वर्ष समर्थन मूल्य पर लगभग 80 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया था।
प्रदेश में इस साल खरीदे गए धान का 14 हजार 500 करोड़ रूपए से ज्यादा का भुगतान किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में किया जा चुका है। प्रदेश की समितियों में किसानों को चौथा टोकन भी जारी किया गया है और चौथा टोकन पर 3.5 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है। गतवर्ष 2018-19 में कुल 15 लाख 71 हजार किसानों ने धान बेचा था, जबकि इस साल अब तक 18 लाख 45 हजार किसानों से धान खरीदी की गई है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों से 2500 रूपए प्रति क्विंटल के हिसाब से एक दिसम्बर से 15 फरवरी तक धान खरीदने का निर्णय लिया गया था। प्रदेश में इस वर्ष ज्यादा किसानों द्वारा पंजीयन कराने के फलस्वरूप धान बेचने की अवधि को 5 दिन और बढ़ाकर 20 फरवरी किया गया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल स्वयं खरीदी केन्द्रों में पहुंचकर किसानों से चर्चा की और धान खरीदी केन्द्रों की व्यवस्था का जायजा लिया। उन्होंने धान खरीदी में किसानों को कोई परेशानी नहीं होने की भी बात कही थी। मुख्यमंत्री ने धान उपार्जन केन्द्रों में किसानों को मूलभूत जरूरतों जैसे पीने का साफ पानी, स्वच्छता परिसर और किसानों के बैठने के लिए व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर किसानों की सुविधा के लिए राज्य स्तरीय हेल्प लाईन नम्बर शुरू किया गया, जिसमें पुलिस विभाग के हेल्प लाईन नम्बर 112 पर भी किसानों को मदद की गई। मुख्यमंत्री श्री बघेल द्वारा भारत सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर धान खरीदने की अनिवार्यता के कारण अंतर की राशि किसानों को देने के लिए कृषि श्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता में मंत्रीमंडलीय उप समिति गठित की गई। समिति द्वारा अन्य राज्यों में किसानों को दिए जा रहे बोनस का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।
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