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‘‘नरवा’’ विकास: संवर गया खरधवा नाला का स्वरूप

राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी ‘‘नरवा’’ विकास योजना के तहत धरमजयगढ़ वनमण्डल में लेमरू हाथी रिजर्व परियोजना अंतर्गत हाटी-छाल परिक्षेत्र परिसर में खरधवा नाला को उपचारित किया गया है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में खरधवा नाला की कुल लम्बाई 2.64 कि.मी. में 168.00 हे. वन क्षेत्रफल का भू-जल संरक्षण एवं मृदा क्षरण उपचार किया जा रहा है। इससे खरधवा नाला के पुनर्जीवित होने से उसका रूप ही संवर गया है। नाला के उपचार हेतु कंटूरट्रेंच, ब्रशवुड, बोल्डर चेक डेम, गेबियन संरचना, तालाब, परकोलेशन टेंक तथा डाईक आदि कुल 89 संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। इसके निर्माण के लिए कुल 64.38 लाख की राशि का प्रावधान है। जिसमें से 59 लाख की राशि व्यय कर अब तक कुल 87 संरचनाओं के निर्माण पूर्ण कर लिया गया है।
लेमरू हाथी रिजर्व परियोजना अंतर्गत नरवा विकास कार्य का मूल उद्देश्य नदी-नालों एवं जल स्त्रोतों के स्तर में वृद्धि कर हाथियों एवं वन्य प्राणियों के भोजन एवं रहवास की व्यवस्था प्रदान करना है। नाला के उपचार से 0.15 लाख घन.मी. जल भण्डार में वृद्धि होगी, जिससे कि संभावित जल सिंचाई क्षेत्र 05 हेक्टेयर होगी तथा वनक्षेत्र में 150 हे.मृदा क्षरण को कम करने में सफलता प्राप्त हुई है। साथ ही निर्माण कार्याे के द्वारा ग्रामीणों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी सुलभ हुआ है। इसके अलावा वन क्षेत्रों में निर्माण किये गये तालाबों एवं अन्य संरचनाओं द्वारा भू-जल स्तर में अनुमानित औसत वृद्धि 05 से.मी.हुई है। साथ ही 0.15 लाख घन.मी. संचित जल का प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। जिससे वन्य प्राणियों को वन क्षेत्रों में भोजन एवं रहवास में भी सुविधा होगी। जिसके फलस्वरूप हाथी-मानव द्वंद जैसी घटना की रोकथाम में भी मदद मिलेगी।