मुख्यमंत्री श्री बघेल की नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने जनता का, जनता के लिए, जनता के द्वारा शासन के ध्येय वाक्य को फलीभूत करते हुए नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने में कामयाबी हासिल की है। मेहनतकश किसानों, मजदूरों और गरीबों का मर्म समझकर जनसरोकार के अनेक नीतिगत फैसलों से आज किसान, गरीब, मजदूर सहित सभी वर्ग खुशहाल हैं। राज्य सरकार की किसान हितैषी फैसलों का परिणाम है कि वर्तमान परिवेश में कठिन चुनौतियों के बावजूद लगभग 21.77 लाख किसानों से 98 लाख मीट्रिक टन रिकार्ड धान खरीदी कर एक नया क्रीर्तिमान बना है।
छत्तीसगढ़ की सरकार ने मौसम और जलवायु के साथ-साथ 80 प्रतिशत से अधिक लोगों की खेती-किसानी पर निर्भरता को देखते हुए खेती-किसानी को लाभकारी बनाने का निर्णय लिया। सरकार में आते ही 18 लाख 82 हजार किसानों पर चढ़ा अल्पकालीन कृषि ऋण लगभग 10 हजार करोड़ रूपए माफ किया, वहीं 244.18 करोड़ रूपए के सिंचाई कर की माफी ने भी खेती-किसानी और किसानों के दिन बहुराने में महत्वपूर्ण रोल अदा किया है। पिछले तीन सालों में विभिन्न माध्यमों से किसानों-मजदूरों और गरीबों की जेब में 90 हजार करोड़ रूपए से अधिक की राशि डालने का काम किया गया है। प्रदेश में इसका परिणाम यह रहा कि देश में घोर आर्थिक मंदी के बावजूद यहां कोई प्रभाव नहीं पड़ा। राज्य में सभी सेक्टरों चाहे वह ऑटोमोबाईल बाजार हो, टेक्सटाइल बाजार हो, सोने-चांदी का व्यवसाय हो या कृषि यंत्रों का बाजार हो सभी में उछाल रहा। यही कारण है कि नीति आयोग ने भी छत्तीसगढ़ सरकार के कार्यो और नीतियों की सराहना की।
छत्तीसगढ़ में किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर खेती-किसानी के लिए सहकारी समिति से ऋण और समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के साथ-साथ राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत इनपुट सब्सिडी देने का फैसला क्रांतिकारी सिद्ध हुआ। राज्य मंे कृषि के साथ-साथ कृषि से जुड़े त्यौहारों को भी प्रर्याप्त महत्व दिया जा रहा है। कृषि संस्कृति से जुड़े सबसे बड़े लोक पर्व हरेली के दिन अवकाश घोषित कर राज्य सरकार ने इसकी महत्ता को बढ़ा दिया है। कृषि की महत्ता बढ़ने से राज्य में किसानों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है। यही कारण है कि राज्य में समर्थन मूल्य में धान खरीदी का साल दर साल नया कीर्तिमान बनता जा रहा है। राज्य में किसानांे को सिंचाई के लिए निःशुल्क एवं रियायती दर पर बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने से खेती किसानी को बल मिला है। कृषि पंपों के ऊर्जीकरण के लिए प्रति पम्प एक लाख अनुदान राशि दी जा रही है। राज्य में लगभग 5 लाख 81 हजार से अधिक ऊर्जीकृत कृषि पम्प हैं। बीते 03 वर्षों में लगभग 60 हजार स्थायी कृषि पम्पों को ऊर्जीकृत किया गया है। राज्य शासन द्वारा कृषकों को वित्तीय राहत प्रदाय किये जाने के उद्देश्य से कृषक जीवन ज्योति योजना के अंतर्गत कृषकों को 3 अश्वशक्ति तक कृषि पम्प के बिजली बिल में 6000 यूनिट प्रति वर्ष एवं 3 से 5 अश्वशक्ति के कृषि पम्प के बिजली बिल में 7500 यूनिट प्रति वर्ष छूट दी जा रही है। इस छूट के अलावा कृषकों को फ्लेट रेट दर पर बिजली प्राप्त करने का विकल्प भी दिया गया है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए विद्युत खपत की कोई सीमा नहीं रखी गई है। वर्तमान में इस योजना के अंतर्गत 5 लाख 81 हजार किसान हितग्राही लाभान्वित हो रहें हैं।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के किसानों के प्रति संवेदनशील सोच का परिणाम है कि बस्तर जिले का लोहण्डीगुड़ा इलाके में इस्पात संयंत्र के लिए पूर्व में किसानों से अधिग्रहित की गई भूमि उन्हें लौटाई गई। किसानों को उनकी जमीन उन्हें फिर से सौंपकर जमीन का मालिक बना दिया है। किसान अब बेफिक्र होकर खेती किसानी का काम अपनी जमीन में करने लगे हैं। लोहण्डीगुड़ा क्षेत्र में टाटा इस्पात संयंत्र के लिए 1700 से अधिक किसानों की लगभग 5 हजार एकड़ भूमि अधिग्रहित की गई थी।
परिणाम यह हुआ कि राज्य में वर्ष 2018-19 में पंजीकृत धान का रकबा जो 25.60 लाख हेक्टेयर था, जो आज बढ़कर 30.11 लाख हेक्टेयर हो गया है। इन तीन वर्षो मंे पंजीकृत किसानों की संख्या 16.92 लाख से बढ़कर 24.06 लाख के पार जा पहुची है। राज्य में सिर्फ धान के रकबे में 5 लाख हेक्टेयर और पंजीकृत किसानों की संख्या में 7 लाख से अधिक की बढ़ोतरी, खेती के दिन बहुरने का सुखद एहसास है। खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 में 80.30 लाख मीट्रिक टन, वर्ष 2019-20 में 83.94 लाख मीट्रिक टन, 2020-21 में 92.06 लाख मीट्रिक टन और वर्ष 2021-22 में रिकार्ड 98 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई। सरकार के इन नीतिगत निर्णयों से ऐसे किसान जो खेती-किसानी छोड़ चुके थे, वे अब खेती-किसानी की ओर लौटने लगे हैं। किसानों की माली हालत में भी काफी सुधार हुआ है। राज्य के किसान अब बेहतर ढंग से खेती-किसानी करने लगे हैं।
राज्य सरकार द्वारा किसानों से न केवल खरीदी की सुनिश्चित व्यवस्था की है, बल्कि उन्हें तत्काल भुगतान की व्यवस्था भी की गई है। किसानों को उनके बैंक खातों के जरिये ऑनलाईन भुगतान किया गया। किसानों को चालू खरीफ सीजन में धान खरीदी के एवज में 19,084 करोड़ रूपए से अधिक की राशि का भुगतान कर दिया गया है। किसानों-ग्रामीणों की सहूलियतों को ध्यान में रखते हुए नवीन धान खरीदी केन्द्र प्रारंभ किए गए। इस वर्ष 2 हजार 484 धान उपार्जन केन्द्रों में धान खरीदी व्यवस्था की गई। कोरोना काल के दौरान भी राज्य में खेती-किसानी, उद्योग-धंधे चलते रहे। सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को गतिमान रखने के लिए सभी सेक्टरों को विशेष रियायत और छूट दी गई है। इससे ग्रामीण के साथ-साथ शहरी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली। यही कारण है कि राज्य की अर्थव्यवस्था में अन्य राज्यों की तुलना में आर्थिक मंदी का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना से राज्य में समृद्ध होती खेती-किसानी को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने अब इस योजना का दायरा बढ़ाकर इसमें खरीफ और उद्यानिकी की सभी प्रमुख फसलों को शामिल कर लिया है। कोदो, कुटकी और रागी के उत्पादक किसानों को भी इस योजना के तहत प्रति एकड़ के मान से 9 हजार रूपए की सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान किया गया है। धान के बदले अन्य फसलों की खेती या वृक्षारोपण करने वाले किसानों को 10 हजार रूपए प्रति एकड़ के मान से इनपुट सब्सिडी दी जा रही है। वृक्षारोपण करने वाले किसानों को यह इनपुट सब्सिडी 3 वर्षों तक दी जाएगी। छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना और गोधन न्याय योजना ने भी राज्य में खेती-किसानी को काफी हद तक मजबूती दी है। नरवा विकास कार्यक्रम के चलते सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता बढ़ी है और दोहरी और नगदी फसलों का रकबा बढ़ा है। गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर की खरीदी और उससे बड़ी मात्रा में कम्पोस्ट उत्पादन से राज्य में जैविक खेती की ओर किसानों का रूझान बढ़ा है। वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग से खेती की लागत में कमी आई है।
उल्लेखनीय है कि श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में गांव, गरीब, किसान को फोकस में रखकर काम रही राज्य सरकार सबसे पहले किसानों के लिए ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ लेकर आयी, जिसने किसानों को उनकी उपज लागत का उचित मूल्य देने के साथ आर्थिक समृद्धि का काम किया। फिर गोबर खरीदी जैसी अभिनव पहल करते हुए ‘गोधन न्याय योजना’ लागू की गई। इस योजना के तहत अब तक 122 करोड़ रूपए से अधिक की गोबर खरीदी की जा चुकी है। जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल मिला। इस कड़ी में 3 फरवरी 2022 को लोकसभा सांसद श्री राहुल गांधी के हाथों ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ की भी शुरूआत की गई है। योजना के तहत ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवार को प्रति वर्ष 6 हजार रुपए की आर्थिक मदद राज्य सरकार की ओर से दी जाएगी। राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ का लाभ लेने के लिए अब तक 3 लाख 55 हजार हितग्राहियों ने पंजीयन कराया है। पहली किस्त के तौर पर भूमिहीन कृषि-मजदूरों को लगभग 75 करोड़ रूपए उनके खाते में अंतरित किया गया। यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था विशेषकर मजदूर वर्ग को संबल देने में सहायक होगी।
गौरतलब है कि कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और भारतीय जन-जीवन की धुरी। देश को खाद्यान्न सुरक्षा देने के साथ ही आबादी का आधे से अधिक हिस्सा प्रत्यक्ष रूप से जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। कृषि क्षेत्र की समृद्धि व खुशहाली का अनुकूल प्रभाव अन्य क्षेत्रों और देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। इन सब बातों को ध्यान में रखकर सरकार की नीतिगत फैसलों और कार्यों से समाज के सभी वर्गाे के न्याय के साथ निरंतर विकास हो रहा है। गरीब, मजदूर, किसान, व्यापारी इन सभी वर्गाे के हित में किए जा रहे कार्यों से नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने का सपना साकार हुआ है।
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