लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रूद्र कुमार ने आज दुर्ग जिले के सोमनी भिलाई-3 में सामुदायिक भवन का लोकार्पण किया। इस सामुदायिक भवन का निर्माण 28 लाख रूपए की लागत से किया गया है। इस अवसर पर मंत्री गुरू रूद्रकुमार ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में सामाजिक जनों की जरूरत के अनुरूप भवन का निर्माण होने से लोगों को काफी राहत मिलेगी। हमारी कोशिश रही है कि नागरिक जरूरतों के मुताबिक बुनियादी सुविधाओं सहित मनोरंजन आदि की अधोसंरचना भी तैयार हो। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के लहर की आशंका अभी बनी हुई है ऐसे में स्वास्थ्य अधोसंरचना को लेकर हमारी तैयारियां मजबूत है तथा इसकी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है।
मंत्री ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में लगातार लोगों से फीडबैक मिलता रहता है और उसके मुताबिक अधोसंरचना के क्षेत्र में काम किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य के ढांचे को भी मजबूत करने की कोशिश की गई है और लगातार इस क्षेत्र में स्वास्थ्य अधोसंरचना को बेहतर करने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। मैं हमेशा अपने दौरा कार्यक्रम के दौरान लोगों से मिलकर उनकी अपेक्षाएं जानता हूं और उसके मुताबिक विकास कार्य भी आरंभ किए जा रहे हैं। साथ ही साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी जल जीवन मिशन के माध्यम से सभी को पर्याप्त मात्रा में शुद्ध जल सबको सुनिश्चित कराने की दिशा में बड़ा काम हो रहा है। इसके साथ ही नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना के माध्यम से ग्रामीण विकास की दिशा में ठोस पहल की गई है। इस अवसर पर मंत्री गुरू रूद्रकुमार ने ग्रामीणों की मांग पर यादव समाज के लिए सामाजिक भवन, पटेल मरार समाज के लिए अतिरिक्त भवन निर्माण और ओपन जिम बनाने की घोषणा की। इसके साथ ही क्रिएटिव क्लब और महिला कमांडों की टीम को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। इस अवसर पर भिलाई चरोदा नगरपालिक निगम के सभापति श्री विजय जैन, पार्षद श्री राजेश दाण्डेकर, गुड्डू नरेन्द्र वर्मा, श्री जयंत देशमुख और स्थानीय जनप्रतिनिधि सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
क्रमांक 4238 /चंद्रवंशी
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उतेरा के रूप में 2.80 लाख हेक्टेयर में दलहन-तिलहन की खेती लक्ष्य
रायपुर, 24 अक्टूबर 2021/छत्तीसगढ़ राज्य में उतेरा के रूप में 2 लाख 80 हजार हेक्टेयर में दलहनी एवं तिलहनी फसलों की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। किसानों को दलहन-तिलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित करने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मंशा के अनुरूप विशेष अभियान संचालित किया जाएगा। कृषि उत्पादन आयुक्त ने सभी संभागायुक्तों, कलेक्टरों, कृषि, उद्यानिकी विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों को इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया गया है।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा है कि राज्य में पारंपरिक रूप से वृहद पैमाने पर दलहन-तिलहन की फसलें उतेरा के रूप में ली जाती है। राज्य में उतेरा फसलांे एवं रबी फसलों की सुरक्षा की दृष्टिकोण से पशुओं के रोका-छेका का कार्यक्रम रबी सीजन तक जारी रहेगा। पशुओं की खुली चराई प्रथा पर रोक लगाने के उद्देश्य गांवों में गौठान स्थापित किए गए है, यहां पशुधन के चारे एवं पानी का प्रबंध भी गौठान समितियों द्वारा किया गया है।
उतेरा फसलों की खेती वर्षा आधारित क्षेत्र में धान फसल की कटाई के 20-25 दिन पूर्व धान की खड़ी फसल में दलहन, तिलहन फसलों के बीज़ को छिड़कवां विधि से बोवाई की जाती है। वर्तमान में धान की फसल परिपक्व अवस्था में है। उतेरा में तिवडा, अलसी, राई-सरसो गूंग, उड़द, मसूर, कुसुम फसलों की जाती है। प्रदेश में तिवडा उतेरा की प्रमुख फसल है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा उतेरा की महातिवडा, रतन एवं प्रतीक उन्नत किस्में विकसित की गई है।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने विभागीय अधिकारियों से कृषकों को उतेरा की कम अवधि वाली एवं सूखा सहनसील फसलों के किस्मों के चयन की सलाह देने को कहा है। उन्होंने अधिकारियों को बीज निगम से समन्वय स्थापित कर उतेरा के रूप में ली जाने वाली फसलों के अच्छी क्वालिटी के बीज की उपलब्धता प्राथमिक सहकारी समितियों एवं निजी क्षेत्र में सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए हैं। उतेरा फसलों की खेती के लिए किसानों को जानकारी देने एवं उन्हें प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कोटवार के माध्यम से नियमित गांवों में मुनादी कराने, मैदानी आधिकारियों के माध्यम से लक्षित क्षेत्र में व्यापक प्रचार-प्रसार एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से तकनीकी सलाह देने को कहा गया है।
कृषि विभाग द्वारा उतेरा के रूप में दलहन-तिलहन की फसलों की खेती के लिए निर्धारित जिलावार लक्ष्य के अनुसार रायपुर जिले में 13,120 हेक्टेयर, बलौदाबाजार जिले में 9540, गरियाबंद में 13950, महासमुन्द में 540, धमतरी में 7240, दुर्ग में 10560, बालोद में 30040, बेमेतरा में 31130, राजनांदगांव में 33220, कबीरधाम में 7280, बिलासपुर में 5670, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में 510, मुंगेली में 73290, जांचगीर-चंापा में 12240, कोरबा में 5160, रायगढ़ मंे 5170, सरगुजा में 360, सूरजपुर में 1180, बलरामपुर में 710, जशपुर में 2240, कोरिया में 270, जगदलपुर में 100, कोण्डागांव में 5230, नारायणपुर में 270 तथा कांकेर में 10460 हेक्टेयर लक्ष्य निर्धारित है।
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