छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की अगुवाई में कांग्रेस सरकार को आज ढाई साल पूरे हो गए, या ये कहें कि बीजेपी को सत्ता से दूर हुए ढाई साल बीत गए। लिहाजा बीजेपी नेताओं ने बकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य सरकार पर हमला बोला और अधूरे वादों को लेकर सवालों की झड़ी लगा दी। विपक्ष ने राज्य सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की मांग भी की। बीजेपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर मंत्री रविंद्र चौबे जमकर बरसे और पलटवार किया कि हाईकमान की प्रताड़ना से बचने बीजेपी नेता मीडिया के सामने आ रहे हैं। ढाई साल पूरे होने पर वार-पलटवार के इतर भूपेश सरकार के कामकाज की समीक्षा करना भी स्वाभाविक है। सवाल है कि ढाई साल में कितना बदला छत्तीसगढ़? अपने वादों को पूरा करने और कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में सरकार का परफारमेंस कैसा रहा?
छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार को ढाई साल पूरे होने पर है। सरकार की वादाखिलाफी को मुद्दा बनाकर बीजेपी जहां सरकार पर निशाना साधने का मौका नहीं छोड़ रही, तो सत्ता पक्ष भी इस अहम पड़ाव पर अपनी उपलब्धियों को गिनाने के साथ विपक्ष के हर वार का जवाब दे रही है। दरअसल आज से ठीक ढाई साल पहले 17 दिसंबर को भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ में अपना 15 साल का वनवास खत्म किया था। इन ढाई साल में सरकार ने जनता से किए 36 चुनावी वादों में से प्राथमिकता वाले वादों को पूरा किया है। इसमें किसानों को धान का 25 सौ रुपए, ऋणमाफी, बिजली बिल हाफ और सिंचाई ऋण मुख्य रुप से शामिल है। अनियमित कर्मचारियों को नियमितिकरण, बेरोजगारी भत्ता जैसे अन्य वादों को पूरा करने के लिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। सरकार को डेढ़ साल कोरोना संक्रमण काल की चुनौतियों से भी निपटना पड़ा। इस कठिन दौर में भीसरकार ने किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना की 15 सौ करोड़ और गोधन न्याय योजना की राशि दी है। लेकिन शराबबंदी के मुद्दे पर वो लगातार विपक्ष के निशाने पर है। भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन देकर सरकार को शऱाबबंदी का मुद्दा याद दिलाया, तो दूसरी ओर बीजेपी नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार की वादाखिलाफी पर जमकर निशाना साधा।
बीजेपी नेताओं के आरोपों पर मंत्री रविन्द्र चौबे ने पलटवार करते हुए कहा कि हाईकमान के प्रताड़ना और अंतरकलह से उबरने के लिए एक साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की मांग पर रविंद्र चौबे ने कहा कि राज्य सरकार को बीजेपी की सर्टिफिकेट की जरुरत नहीं है।
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